विश्व रेडक्रॉस दिवस आज: जिले में समाज सेवा के रूप में रेडक्रॉस ने बनाई अपनी अलग पहचान
बूंदीPublished: May 08, 2019 12:06:51 pm
‘छोटीकाशी’ के नाम से विख्यात बूंदी शहर में रेडक्रॉस सोसायटी की स्थापना वर्ष 1983 में हुई। तब सोसायटी में साठ सदस्य बनाए गए। यहीं से सेवा का सिलसिला शुरू हुआ, जो आज भी अनवरत जारी है।
विश्व रेडक्रॉस दिवस आज: जिले में समाज सेवा के रूप में रेडक्रॉस ने बनाई अपनी अलग पहचान
बूंदी. ‘छोटीकाशी’ के नाम से विख्यात बूंदी शहर में रेडक्रॉस सोसायटी की स्थापना वर्ष 1983 में हुई। तब सोसायटी में साठ सदस्य बनाए गए। यहीं से सेवा का सिलसिला शुरू हुआ, जो आज भी अनवरत जारी है। बूंदी ही नहीं बल्कि दूर-दराज से आने वाले लोगों को यहां रेडक्रॉस भवन में खाना, दवाइयां और कम दर पर जांच की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। साथ ही मात्र 20 रुपए में मरीजों के तीमारदारों को ठहरने के लिए रेडक्रॉस धर्मशाला में रहने के लिए कमरा उपलब्ध कराया जाता है। समिति में आज कुल 120 सदस्य हैं। इसके गठन का सुझाव तत्कालीन जिला कलक्टर अरविंद मायाराम ने दिया था।
सेवा के काम
15 अगस्त 2007 को क्षुधा शांति प्रकल्प शुरू किया। इसमें रोज शाम को 5 रुपए में खाना दिया जाता है। अर्पण का गलियारा शुरू किया, जिससे कई गरीबों के तन ढके जाते हैं। 19 अक्टूबर 2018 में यहीं पर लैब स्थापित कर दी गई जिसमें प्रत्येक बीमारी की जांच बाजार दर से आधी दर पर की जाती है। भवन में 14 कमरे बने हुए हैं जिन्हें जिला चिकित्सालय में भर्ती मरीजों के परिजनों को ही दिया जाता है। यहां हॉल बना है जिसे रक्तदान शिविर के लिए नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है। सोसायटी ने माटूंदा रोड पर मुक्तिधाम भी बनाया है।
इतिहास
सबसे पहले सचिव बीपी गर्ग बने। इनके बाद सोलह वर्ष तक राजेन्द्र रावका सचिव बने। अभी लगातार 12 वर्ष से अशोक विजय सचिव हैं। यहां 6 कमरों का भवन समिति को मिला था। बाद में इसका विस्तार कर 14 कमरे बनाए गए। दुकानों का भी निर्माण कराया गया। बताया जाता है कि यहां भवन का विस्तार करने के लिए सदस्यों ने 6-6 हजार रुपए का कर्ज लिया था।
-समिति की ओर से सेवा के ही काम किए जाते हैं। अलग-अलग प्रकल्प चला रखे हैं। आने वाले दिनों में एक्स-रे लैब भी शुरू करेंगे। जिससे लोगों को बाजारों में अधिक दर नहीं देनी पड़ेगी।
अशोक विजय, सचिव, रेडक्रॉस सोसायटी, बूंदी