बुरहानपुरPublished: Nov 12, 2019 12:35:15 pm
ranjeet pardeshi
इससे टीबी से ज्यादा ६ गुना बढ़ रहे सीओपीडी के मरीज – पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की मासिक रिपोर्ट में खुलासा- अक्टूबर माह में १३०.२४ एक्यूआई प्रदूषण स्तर रहा- धूल के गुबार और वाहनों के धुएं से हवाओं में बढ़ रहा प्रदूषण
Burhanpur at number four in the state in deteriorating pollution
बुरहानपुर. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अक्टूबर माह की जारी रिपोर्ट में शहर के लिए चिंता खड़ी कर दी है। प्रदेश में बुरहानपुर चौथे पायेदान पर है जहां सबसे तेजी से पर्यावरण बिगड़ा है। इस रिपोर्ट से यह भी पता चल गया कि लोगों की बिगड़ रही सेहत का सबसे बड़ा कारण बिगड़ता प्रदूषण है। इससे सीओपीडी और धूल से अन्य बीमारियां भी पनप रही है।
बोर्ड ने प्रदेश के 51 जिलों की अक्टूबर माह की वायू प्रदूषण की रिपोर्ट जारी की। दो साल पहले तक जहां बुरहानपुर का नाम १३वें पायदान पर था, अब यह बढ़कर चौथे पर आ गया है। शहर में वायू प्रदूषण का स्तर १३०.२४ एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) है। जो बोर्ड के मापदंडों के अनुरूप प्रदूषित की श्रेणी में आता है। शहर की हवा प्रदेश के अन्य बड़े शहरों की तुलना में खराब पाई गई।
यह है प्रदूषण का मुय कारण, बढ़ रही बीमारी
बिगड़ते प्रदूषण का कारण शहर में चल रहे पावरलूम और सीवरेज व ताप्ती जलावर्धन के लिए चल रही खुदाई का काम है। पावरलूम से निकलने वाले रेशे से सीओपीडी की बीमारी बढ़ रही है। बुरहानपुर में पावरलूम और धूल मिट्टी से शहरवासियों ने सीओपीडी की बीमारी ने जकड़कर रखा है। एक्सपर्ट की माने तो 10 हजार से अधिक क्रोनिक ऑप्सट्रेक्टिव पलमोनरी डीसीसी सीओपीडी के मरीज है। घर.घर और कारखानों में चलने वाले लूम पर बनने वाले कपड़ों के रेशे फेपड़े में जाने से यह बीमारी पनप रही है। साइजिंग, प्रोसेस में भी काम करने वाले मजदूर और इससे जुड़े लोग भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। कपड़ा व्यापार से बुरहानपुर में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 70 हजार से अधिक लोग जुड़े हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
टीबी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर हर्ष वर्मा के अनुसार टीबी से 6 गुना ज्यादा सीओपीडी के मरीज बुरहानपुर में है। प्रदूषण के कारण मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता कम होकर यह बीमारी घेर लेती है। सांई नशा मुक्ति केंद्र संचालक डॉक्टर मनोज अग्रवाल के अनुसार बुरहानपुर में हर छह में से 1 को अस्थमा है। इसका मूल कारण पावरलूम, साइजिंग बताया है। शहर में धूल मिट्टी भी ज्यादा होने से सीओपीडी और अस्थमा बीमारी फैल रही है।
इसलिए भी बढ़ रहा प्रदूषण
शहर में सीवरेज योजना में पाइप लाइन डालने के लिए गड्ढे खोदे जा रहे हैं। इसी ने बिगड़ते प्रदूषण के मामले में बुरहानपुर को टॉपर पर पहुंचा दिया है। जहां खुदाई नहीं भी है, तो धूल के गुबार लोगों की सेहत पर असर डाल रहे हैं। पहले से ही बुरहानपुर धूल दूसरित शहरों की श्रेणी में आता है।
यह होता है एक्यूआई
एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) में हवा की गुणवत्ता की 6 श्रेणियां है। इसे अच्छी, संतोषजनक, थोड़ा प्रदूषित, खराब, बहुत खराब और गंभीर में बांटा गया है। एक्यूआई निकालने के लिए विभाग पीएम 10 (हवा में धूल के कण), पीएम 2.5 नाइट्रोआक्साइड, सल्फर आक्साइड, ग्राउंड लेवल ओजोन सहित तीन अन्य तत्वों की मानीटरिंग करता है।