बुरहानपुर से 7 किमी दूर उतावली नदी के पार उखड गांव में चतुर्थी की रात और पंचमी के प्रारंभ होते ही निकल पडते हैं लोग यह परंपरा करीब 300 वर्ष पुरानी हैं जो आज भी उतनी ही अदब के साथ निर्वाह कि जा रही हैं जैसा की 300 वर्ष पुर्व चलती थी, यहां लोग हाथों में टोकरी में बंद नाग का जोडा लेकर निकल पडते हैं हाथों में होता हेैं मैदे की पूरी जो कि एक विषेष प्रकार के बनी हुई होती हैं उसपर पूरीयां टंगी होती हैं यह पुरी मैदे और घी की बनी होती हैं यहां हजारों भक्त पंहुचते हैं इस नाग देवता की चिकनी मिट्टी से बनी बांबी की पूजा करने! कहा जाता हैं इस बांबी में नाग देवता वर्ष भर निवास करते हैं और आज के दिन केवल नसीब वालों को ही दर्षन देते हैं इस उखड गांव में देवालय तक पंहुचने के लिएंें उतावली नदी को पार करना होता हैं