लॉकडाउन से बोदरली में अटका परिवार
महाराष्ट्र के अमरावती में फायनेंस का काम करने वाले विठोबा नारायण पाटिल अपने परिवार से मिलने के लिए बेताब है। उनकी पत्नी रेखा, मां देवका बाई और पिता नारायण राव पाटिल तराना उज्जैन में बहन के घर कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। यहां से 21 मार्च को निकलकर देढ़तलाई होते हुए महाराष्ट्र जा रहे थे, तब ही सरकार ने जनता कफ्र्यू के आदेश दे दिए। इस कारण पूरा परिवार बोदरली में मौसी के घर रुक गया। इसके बाद से ट्रेने और बसे रद्द हो गई। लगातार छह दिन बाद भी बोदरली से बाहर निकलने का रास्ता नहीं बना। विठोबा पाटिल ने कहा कि उनकी मां की बायीं आंखों में सूजन आ रही है। अमरावती में जहां इलाज चलता है, वहां डॉक्टर ने कहा कि उन्हें अस्पताल लाना होगा। अब ऐसे हालात में परेशान हैं।
यहां बच्चों से दूर है मां
राजपुरा निवासी सचिन गुप्ता भी अपनी पत्नी राखी गुप्ता को हैदराबाद से वापस लाने के लिए परेशान हैं। उनके बच्चे भी मां से मिलने के लिए बेताब हैं। सचिन ने बताया कि उनकी सास विमला सुगंधी उनके हाथ में फैक्चर होने से उनकी पत्नी 10 मार्च को हैदराबाद गई थी। 27 मार्च का रिवर्जेशन था, लेकिन लॉकडाउन के कारण अब पूरे तरीके से बंद है, न ट्रेन चल रही न बसें। निजी वाहनों को भी आने की अनुमति नहीं है। सचिन ने कहा कि हालाकि वह अपने मां के घर ही है, लेकिन घर में बच्चों से मां की लंबी दूरी होने के लिए वे मिलने के लिए परेशान हंै।
बड़ौदा में अटक गए मां-बेटे और सास
बुधवारा निवासी कंसल्टिंग इंजीनियर निर्मल लाठ की पत्नी करिशमा, बेटा दर्शिल और उनकी सास राजपुरा निवासी साधना श्रॉफ 17 मार्च से बड़ौदा गुजरात में अटक गए। कोई परिवहन सााधन न होने से बुरहानपुर वापस नहीं आ सके। निर्मल लाठ ने बताया कि उनकी सास का चेकअप के लिए बड़ौदा में उनकी पत्नी और बेटे साथ ले गए थे। 19 को अपाइंटमेंट था, 21 को वापस निकलना था, लेकिन 22 को लॉकडाउन हो गया। हालांकि परिवार बड़ौदा में उनके ही रिश्तेदार रेशमा सचिन कोठीवाला के यहां रुका है, लेकिन आवागम के लिए कोई साधन नहीं मिल पा रहे हैं। निर्मल लाठ ने कहा कि उन्हें आने के लिए अनुमति मिले या मुझे जाने के लिए अनुमति मिलना चाहिए, ताकि मैं अपने परिवार को वापस बुरहानपुर ला सकूं।