सोमवार को इस पर्व पर मोहनासंगम मार्ग स्थित श्री सिद्धेश्वर गणेश मंदिर में 5001 किलो वजनी लड्डू का भोग लगाया गया। इसे प्रदेश का सबसे बड़े लड्डू के रूप में बताया जा रहा है। चतुर्थी पर सोमवार सुबह गणेशजी की महाआरती के बाद लड्डू का भोग लगाया गया। दिनभर में हजारों भक्त यहां दर्शन को पहुंचेंगे, जिन्हें लड्डू की प्रसादी का वितरण किया जाएगा। संकट चतुर्थी पर होने वाले आयोजन की तैयारी पिछले दो माह से चल रही है। यह लड्डू बेसन, शकर, घी, काजू, किसमिस आदि सामग्री से तैयार हो रहा है। सुभाष चौधरी हलवाई के नेतृत्व में इसे बनाया गया, जहां 22 गैस सिलेंडर इसमें लग गए। चार दिन से तैयार हो रहे इस लड्डू को बनाने में 30 कर्मी जुटे थे।
ये आयोजन हुए
सुबह 8 बजे अभिषेक और महाआरती हुई। 25 पंडितों द्वारा निरंतर अथर्वशीर्ष पाठ होगा। सुबह 8 बजे लड्डू का भोग लगाया गया। इस आयोजन को सफल बनाने में ट्रस्ट सदस्य बसंत पाल, प्रवेश भगत, जितेंद्र महाजन, सुधाकर महाजन, जगन्नाथ महाजन, जितेंद्र सपकाले, चेतन खेरनार, मयूर महाराज, मेघराज सर, मनोज पाटिल, अजीत परदेशी, संतोष महाकाल, किरण बुरहानपुरकर, अशोक राठौर, खुशाल महाजन, भोजराज पटेल, शैलेष राय सहित 50 कार्यकर्ता जुटे हैं।
यहां भी लगा मेला
संकट चतुर्थी पर गणपति नाका स्थित प्राचीन गणेश मंदिर पर भी मेला लगा। यहां दिनभर भक्तों की दर्शन के लिए आस्था उमड़ेगी। मंदिर का रंगरोगन कर तैयार की गई है।
लड्डू में इस्तेमाल की गई सामग्री
2000 किलो शकर
1000 किलो बेसन
1200 लीटर घी
5 किलो काजू
5 किलो किसमिस
3 किलो बादाम
1 किलो इलाइची दाना
3 किलो तरबूज के बीज
22 गैस सिलेंडर लगे
30 कर्मी लगे हैं
4 दिन लग गए लड्डू तैयार करनेे में