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Unique hobby – प्राचीन वस्तुओं को सहेजने के शौक ने शख्स को दिलाया सम्मान

locationबुरहानपुरPublished: Nov 22, 2020 07:20:22 pm

Submitted by:

tarunendra chauhan

चाय-गुटखा के खर्च को बंद कर सहेजी प्राचीन वस्तुएं
 

unique hobby

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बुरहानपुर. ऐसे कई ऐतिहासिक धरोहर और भ्रमण स्थल हैं जो हमारी संस्कृति और परंपरा के प्रतीक हैं। हमारी ये विरासत और स्मारक प्राचीन संपत्ति हैं। इस संस्कृति और परंपरा की विरासत को आने वाली पीढिय़ों को देने के लिए शहर के एक संग्रहकर्ता को ऐसा जुनून की 20 साल की उम्र से प्राचीन वस्तुओं को सहेजना शुरू किया, घर पर जब पुरानी सामग्री लाता तो रखने तक की दिक्कत थी, लेकिन आज यही विरासत ने प्रदेश स्तर तक उन्हें सम्मान दिलाया। यह संग्रहकर्ता है राजघाट रोड निवासी 60 वर्षीय वैद्य सुभाष माने। सुभाष माने बताते हैं कि सिक्के संग्रहकर्ता डॉ. महेश कुमार गुप्ता मेजर से यह प्रेरणा मिली। उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया था कि जो खर्च बाहर चाय-गुटका पान में हो जाता है, लेकिन उससे वापस कुछ नहीं होता, इसी खर्च से प्राचीन वस्तुओं को संग्रहित कर हमारी विरासत को बचाया जा सकता है। 20 साल की उम्र में उनकी यह बात ऐसे दिल में बैठी की बस जुट गए प्राचीन वस्तुओं को सहेजने में। तब से बाहर के फिजूलखर्च बंद कर दिए।

प्राचीन वस्तु के लिए वैद्य सुभाष ने पुना तक के बाजार को खंगाल लिया। जहां से भी प्राचीन शहर, मुगल राज से लेकर ब्रिटिश और सिंधिया राज तक की सामग्री मिली उसे संग्रहित करते चले गए। आज इनके पास कई प्राचीन वस्तुओं का संग्रहण हो गया, जो बुरहानपुर के इतिहास को दर्शाता है।

नया पंखा दे आए पुराने ले आए
वैद्य सुभाष को प्राचीन वस्तु रखने का इतना जुनून है उन्होंने किसी के घर पर ब्रिटिश समय का पंखा लगा देखा, जो बंद हाला में था। इसके लिए वैद्य माने उनके घर नया छत पंखा दे आए और उससे पुराना पंखा घर लाकर चालू कर लिया। इनके पास कई प्राचीन सिक्कों के अलावा ब्रिटिश समय की पान दानी, पानी मसानी, स्टोव, सरोते, सिगड़ी, प्राचीन मूर्तियां आदि सामग्री है। कई प्राचीन सामग्री तो उन्हें बर्तन बाजार से मिली, जहां लोग पुराने समय के बर्तन देकर स्टील के ले जाया करते हैं।

प्राचीन वस्तु सहेजने में मेहनत लगी
वैद्य सुभाष माने ने कहा कि घर छोटा था, प्राचीन वस्तु घर लाए तो रखने की बहुत दिक्कत थी। शुरू में तो परिवार के लोग भी नाराज होते थे, लेकिन धीरे धीरे जब इसकी अहमियत समझी तो सभी का साथ मिला। इसी विरासत ने ग्वालियर में प्रदेश स्तर पर सम्मान दिलाया। बुरहानपुर में बुरहानपुर गौरव और ताप्ती रत्न का सम्मान मिला।

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