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यह भी खूब, सात गांव और आधे शहर से पहुंचती है रोटियां

locationबुरहानपुरPublished: Feb 16, 2018 08:03:43 pm

Submitted by:

ranjeet pardeshi

नरेंद्रकुमार ने कहा कि शाखा में आने वाले को स्वयंसेवक कहा जाता है, चाहे उसकी आयु, जाति, आर्थिक या शैक्षणिक स्थिति कुछ भी हो

 It is also full, seven villages and half roses coming from the city

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बुरहानपुर. आयुर्वेदिक कॉलेज में चल रहे आरएसएस के शिक्षा वर्ग में रसोई का काम भी खूब है। यहां सब्जी, दाल तो बनती है, लेकिन रोटियां प्रशिक्षण स्थल पर आसपास के गांवों से आती है। जिले के 7 गांव सहित शहर के 21 वार्डों से रोटियां बनाकर भेजी जा रही है। कुल 6500 घरों से रोटिया बनकर पहुंचती है। हर दिन 2500 रोटियां भिजवाई जा रही है। इसके बाद भी जरूरत पड़ती है तो 15000 लोगों को दो घंटे में भोजन कराने की क्षमता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में जानने की उत्सुकता समाज में लगातार बनी रहती है। संघ का राष्ट्र जीवन में योगदान का अनुभव भी समाज अलग.अलग समय पर कर रहा है। संघ से समाज की अपेक्षाएं भी बढ़ रही हैं। इस बीच संघ के विरोधियों ने संघ के खिलाफ अनेक बार झूठा प्रचार का अभियान भी चलाया।
यह बात बुधवार को मालवा प्रांत संघ शिक्षा वर्ग महाविद्यालयीन प्रथम वर्ष में आए अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्रकुमार ने संघ दर्शन एवं परिचर्चा के दौरान कही। आयुर्वेदिक कॉलेज के नए भवन में चल रहे शिक्षा वर्गमें उन्होंने कहा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अर्थ है अपनी इच्छा से राष्ट्र की सेवा करने वाले लोगों का समूह। ऐसे ही हिंदू का अर्थ है भारत को अपना सर्वस्व मानने वाला व्यक्ति, चाहे उसकी पूजा पद्धति कुछभी हो। संघ का प्रमुख आधार है शाखा। स्वयंसेवक किसी भी मैदान में प्रतिदिन सुबह.शाम अथवा रात्रि में एक घंटे के लिए आकर अपनी आयु व क्षमता के अनुसार सामूहिक रूप से कुछ शारीरिक व बौद्धिक कार्यक्रम करते हैं। इसे ही शाखा कहते हैं।
नरेंद्रकुमार ने कहा कि शाखा में आने वाले को स्वयंसेवक कहा जाता है, चाहे उसकी आयु, जाति, आर्थिक या शैक्षणिक स्थिति कुछ भी हो। स्वयंसेवक का अर्थ है अपनी इच्छा से राष्ट्र की सेवा में लगा रहने वाला। संघ में कार्यकर्ता का निर्माण करने के लिए शिविरों का आयोजन होता है। समय.समय पर नए कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण के लिए वर्गों का आयेाजन होता है। एक सप्ताह के वर्ग को प्राथमिक शिक्षा वर्ग कहते हैं। तीन सप्ताह के वर्ग को संघ शिक्षा वर्ग कहते है। उसी प्रकार प्रथम और द्वितीय वर्ष के संघ शिक्षा वर्ग अपने प्रांत में ही होते हैं जबकि तृतीय वर्ष का वर्ग पूरे देश का एक साथ नागपुर में होता है। इसकी अवधि एक माह की होती है। संघ दर्शन के दौरान नरेंद्रकुमार ने संघ शिक्षा वर्ग में प्रतिदिन होने वाली गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया।

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