जल संसाधन विभाग द्वारा पहाड़ी बरसाती नालों के पानी को एकत्र कर जलाशय बनाया था। डैम में पानी निंब नाले से आता है, लेकिन गर्मी के कारण जंगलों से निकलने वाला यह नाला भी पूरी तरह सूख चुका है। इसका सीधा असर डैम के जलस्तर पर पड़ा है और डैम आधे से भी अधिक सूख चुका है। डैम में पानी कम होने से आसपास गांवों में पानी का संकट भी गहरा सकता है।
भूमिगत जलस्तर पर भी पड़ेगा असर
गर्मी के कारण डैम का जलस्तर कम होने के साथ आसपास का भूमिगत जलस्तर भी घट रहा है। इसका असर पेयजल व्यवस्था पर पड़ेगा। डैम आधे से ज्यादा सूख गया है और अब इसमें पानी भी कम बचा है। अगले दो महीने भीषण गर्मी पड़ेगी। ऐसे में डैम ओर सूखेगा और भूमिगत जलस्तर भी नीचे जाएगा। इसके कारण पेयजल स्रोतों में भी पानी की कमी होगी। वर्तमान में डैम का 40 प्रतिशत पानी ही बचा है।
किसानों को होने लगी चिंता
किसानों का कहना है कि डैम सूखने से जलसंकट की समस्या होगी, वहीं सिंचाई भी नहीं कर पाएंगे, जिससे गर्मी में लगने वाली फसलों की सिंचाई भी करना संभव नहीं हो पाएगा। मवेशियों के लिए भी पानी की व्यवस्था करना मुश्किल होगा। डैम सूखने से आसपास के गांवों के कुओं और हैंडपंप का भी जलस्तर नीचे जाएगा, जिससे अप्रैल अंत तक पानी की समस्या शुरू हो जाएगी।
बीयू:3010: सूखने लगा झांझर डैम।