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संत कबीर का संदेश जानने देश-विदेश से जुटेंगे हजारों अनुयायी

locationबुरहानपुरPublished: Nov 11, 2019 12:03:18 pm

Submitted by:

ranjeet pardeshi

– विश्व का पहला बीजक महाविद्यालय है बुरहानपुर में- गुरु पूरणसाहेब की पुण्यतिथि महोत्सव मनेगा

 Knowing the message of Saint Kabir, thousands of followers will gather from abroad

Knowing the message of Saint Kabir, thousands of followers will gather from abroad

बुरहानपुर. ताप्ती नदी किनारे नागझीरी स्थित प्राचीन श्री कबीर निर्णय मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा से चार दिवसीय संत समागम होने जा रहा है। मंदिर के संस्थापक संत पूरण साहेब की स्मृति में यहां महोत्सव हो रहा है, जिसमें देश-विदेश से १० हजार से अधिक कबीर पंथी अनुयायी यहां जुटेंगे, जो संत कबीर का संदेश जानेंगे।
हर वर्ष पूरण साहेब की पुण्यतिथि पर संत समागम होता है। यह इस बार १२ से १५ नवबंर तक चलेगा। प्रतिदिन बीजक ग्रंथ का पाठ होगा। आरती के बाद संत कबीर के भजन होंगे। रात्रि में बीजक ग्रंथ पर प्रवचन किए जाएंगे। समापन पर गुरुओं का पूजन होगा। इस कार्यक्रम में १० हजार लोग आएंगे। संत दानवीरदास ने बताया कि सभी के लिए यहां रुकने और भोजन की व्यवस्था की जाती है।
इसलिए विश्व का पहला विश्वविद्यालय
कबीर निर्णय मंदिर की स्थापना पूरण दास साहेब ने की थी। वे 11 वर्ष की अवस्था में वैरागी हो गए थे और सद्गुरु की खोज में निकल पड़े थे। घूमते.घूमते ताप्ती नदी के किनारे पहुंचे और साधना करने लगे। साधना के दौरान उन्होंने कबीर के बीजक की टीका भी लिखी, जिसे बीजक की पहली टीका कहा जाता है। इस टीका का नाम त्रिज्या रखा गया। टीका पूर्ण करने के तीन दिन बाद उन्होंने अपनी देह त्याग दी। तभी से हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन ताप्ती के तट पर कबीर निर्णय मंदिर के पास कबीर पंथियों का मेला लगता है। संत दानवीरदास ने बताया कि कबीर के संदेश उलट (कठीन) भाषा में थे, इसे जल्द कोईसमझनहीं पाता। लेकिन पूरणदास साहेब ने सबसे पहले सरल भाषा में कबीर के दोहे की रचना (व्याया) की। यहां पर कबीर के संदेश का ज्ञान दिए जाने लगा। तब से यह विश्व का पहला महाविद्यालय कहलाया। ३ साल तक इसकी शिक्षा होती है, वर्तमान में ४५० अनुयायी शिक्षा ले रहे हैं। मंदिर परिसर में संत पूरण साहेब की समाधि है।
देश में ५० से ज्यादा संस्थाएं
संत दानवीरदास ने बताया कि कबीर निर्णय मंदिर संस्थान के नाम से देश में 50 से ज्यादा संस्थाएं चल रही है। यहां कबीर साहेब के विचारों से लोगों को अवगत करवाया जाता है। नेपाल में भी मंदिर संचालित हो रहे हैं। बीजक महाविद्यालय में आने वाले प्रशिक्षाणार्थियों को जीवन के मूल रहस्य मोक्ष और संत के वास्तविक स्वरूप की जानकारी देने के साथ ही बीजक का संपूर्ण ज्ञान दिया जाता है। वर्तमान में यहां आचार्यसद्गुरु महान साहेब गादी पर विराजमान है। जिनकी अनुयायी यहां पूजा अर्चना करेंगे।

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