बुरहानपुर

अंधेरे में रोशन हुआ उम्मीद का प्रकाश, शहर ने दी कोरोना महामारी के अंधकार को चुनौती

पूरा शहर एकजुट होकर घर-घर जलाए दिये- कोरोना से जीतेंगे हम- प्रधानमंत्री के आह्वान पर शहरवासियों ने जलाए दीप

बुरहानपुरApr 05, 2020 / 09:56 pm

ranjeet pardeshi

Light of hope illuminated in the dark, the city challenged the darkness of the Corona epidemic

बुरहानपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर रात 9 बजे से 9 मिनट तक उम्मीदों के दीये रोशन हो गए। पूरा शहर अंधेरे में डूबने के बाद लोगों ने अपने छतों पर उम्मीद की किरणे जलाई। कही आतिशबाजी तो कही मंदिरों में घंटी शंख बजे। पूरे शहर में कोरोना से लडऩे के लिए लोगों ने खासा उत्साह दिखाया। लोगों ने छतों, बालकनी और चौखट संग दरवाजों पर रोग नाशक दीप घरों में जलाए।
शहर से लेकर गांव तक, गली से लेकर कॉलोनी के घरों तक दीप जलाए गए। दीप ज्योति को धर्माचार्यों ने उम्मीदों का दीप बताया। कहा, समूह में दीपक जलाना शास्त्रों में रोग प्रतिरोधक कारक बताया गया है। रविवार को सूर्य और प्रदोष की युति अद्भुत संयोग है। इसी मान्यता के साथ बुरहानपुर में घर घर में दीयों के जगमग ने कोरोना से संघर्ष के विश्व व्यापी अभियान को रोशनी का संबल दिया।
साबित कर दिया कोई अकेला नहीं
कोरोना के विरुद्ध जंग में ५ अप्रैल 2020 का दिन भारत के इतिहास में दर्ज हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील का ऐसा असर दिखा कि महामारी के अंधकार की चुनौती देने के लिए शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में असंख्य दीप जले। शारीरिक दूरी का पालन करते हुए लोगों ने अपने घरों के सामने, बालकनी में दीया और मोमबत्ती जलाकर कोरोना के खिलाफ जंग में यह साबित कर दिया कि कोई अकेला नहीं है। घड़ी की सूई ने जैसे ही नौ बजने का इशारा किया, वैसे ही लोग अपने.अपने घरों की लाइटें बुझा दी। फिर क्या, युवा, बुजुर्गए बच्चे और महिलाएं पूरे उत्साह के साथ दीया, मोमबत्ती नहीं तो टार्च और मोबाइल लेकर घरों के दरवाजे और बालकनी की ओर चल पड़े। ९ बजने का इशारा होते ही दीप जले तो ऐसा लगा कि अब कोरोना को कहीं जगह नहीं है। हर किसी ने जब एक.एक दीया जलाया तो उसके अपने देश के महाशक्ति होने का अनुभव हुआ। एकजुुटता के संकल्प ने यह साबित कर दिया कि किसी एक मकसद की लड़ाई हम सब लड़ रहे हैं।

यह बोले भागवत भूषण
भागवत भूषण हरि कृष्णा मुखिया ने कहा तमसो मा ज्योतिर्गमय का सामान्य अर्थ यह है कि अंधकार से प्रकाश की ओर चलो, बढ़ो। देखा गया है कि मानव इसका गूढ़ार्थ नहीं समझ पाता। कतिपय ऋषि.मुनियों ने समझकर इसका अनुगमन किया और अपने जीवन को कृतार्थ किया है। उनमें बहुतों के नाम लिए जा सकते हैं। अंधकार को त्यागकर प्रकाश के मार्ग पर बढऩा साधना का अध्याय है। भौतिकता और सांसारिकता के व्यामोह में लिप्त व्यक्ति इस आप्त वचन को जानने को उत्सुक नहीं हैं।

मैं अपने देश से प्यार करता हूं इसलिए घर में हूं
आर्ट ऑफ लिविंग के प्रमुख संतोष देवताले ने कहा कि मैं पिछले 16 दिन से अपने घर की चार दीवारी में हूं, क्योंकि मैं अपने परिवार के साथ समाज से शहर से, प्रदेश से और अपने देश से प्यार करता हूं। मैंने आज 9 दिए जलाए हैं जो डॉक्टर, पुलिस, प्रशासन, मेडिकल, सफाईकर्मी, निशुल्क निस्वार्थ जन सेवा करने वाले, आपातकालीन सेवा देने वाले बैंक कर्मी, गैस सप्लायर, पेट्रोल पंप, दूध, न्यूज पेपर, राष्ट्र के हर व्यक्ति के नाम जो देश हित में घर पर हैं और एक दिया उस ईश्वर के नाम जो हमें इस अंधकार से उजाले की ओर लेकर जाएगा, जो यह विश्वास दिलाता है कि यह जंग हम जीतेंगे जरूर।

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