शायद यह पहली बार ऐसी ईद होगी, जिसको लेकर कोई उत्साह नहीं है। मां-बाप बच्चों को न नए कपड़े दिला पाए, न जूते और न ही महिलाओं और बेटियों के लिए हार-श्रृंगार का सामान खरीद पाए। घरों की साज-सज्जा के लिए भी वस्तुओं की खरीदी नहीं की गई। त्योहार की रंगत कहीं गुम सी हो गई है। लॉकडाउन की वजह से बाजार पूरी तरह बंद है। इस बीच कई पर्व और त्योहार चले गए, लेकिन रौनक नहीं दिखी। मंदिर और मस्जिद में भी सन्नाटा है। रमजान के दौरान गुलजार रहने वाले बाजार सूने पड़े हैं। लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में नवरात्रि में मंदिरों के पट बंद हो गए थे। अब मस्जिदों के आसपास होने वाली रौनक नहीं दिख रही है। गर्मी के दिनों में अब रास्तों पर छबीले नहीं लग पाई हैं।
कपड़ा बाजार की गलियां सूनी, करोड़ो का नुकसान
कोरोना वायरस ने इस बार ईद के उत्साह को फीका कर दिया है। लॉकडाउन के कारण बाजार में दुकानें बंद हैं। लोग ईद को लेकर किसी प्रकार की खरीदारी में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। शहर के मांडा गली कपड़ा बाजार में ईद त्योहार के समय पैर रखने की जगह नहीं होती थी, लेकिन गलियों में दुकानें बंद होने से सन्नाटा पसरा हुआ है। कपड़ा व्यापारी शेख सद्दाम ने बताया कि लॉकडाउन के चलते लगभग 5 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। रमजान के दिनों में कपड़ा बाजार देर रात तक गुलजार रहता था। लोग खरीदारी में व्यस्त रहते थे, लेकिन इस बार कोरोना के चलते सब गड़बड़ है। ईद पर्व को मात्र 4 से 5 दिनों का समय शेष बचा हुए है।