क्षेत्रीय संचालिका मंगला दीदी ने कहा कि यौगिक केंद्रीय खेती करेंगे तो कम मेहनत में अच्छा उत्पादन होगा। इससे बीमारी भी कम होगी और सबकी दुआएं भी मिलेंगी। शाश्वत यौगिक खेती में रासायनिक खाद रहित खेती के साथ-साथ मन के शक्तिशाली विचारों के खेती पर प्रभाव का प्रयोग किया जाता है। हमारे मन के प्रकंपन प्रकृति का परिवर्तन करते हैं। यदि हमारे प्रकंपन सकारात्मक है तो प्रकृति भी शुद्ध सात्विक हो जाती है।
उर्वरक शक्ति को बढ़ाया जा सकता है
अकोला से आए किसान बीके निखिल ने यौगिक खेती के बारे में बताया कि रासायनिक खादों के बिना उत्तम फसल पैदा की जा सकती है और धरती की उर्वरा शक्ति को न केवल बचाया जा सकता है, बल्कि बढ़ाया भी जा सकता है। जैविक खाद और कीटनाशक बनाने की विधि किसानों को बताई और माउंट आबू से आए शाश्वत यौगिक खेती ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट के प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर चंद्रेश भाई ने बताया कि किसानों को अब संगठित रूप में आने की आवश्यकता है। इससे किसानों के लिए खेती फायदे का सौदा बन जाएगी। एग्रीकल्चर इंस्टिट्यूट प्रोजेक्ट के तहत किसानों को एकत्रित करके उनको ट्रेनिंग देने से लेकर टेक्निकल सपोर्ट एवं मार्केटिंग तक का प्रयोजन किया जा रहा है। इससे किसानों का मनोबल बढ़े और उनकी आध्यात्मिक एवं आर्थिक उन्नति की जा सके। इसका प्रैक्टिकल स्वरूप ब्रह्माकुमारीज के मुख्यालय माउंट आबू में स्थित तपोवन की 90 एकड़ जमीन में किया जा रहा है। ब्रह्माकुमारी आश्रम के करन भाई ने खेती के पौधों पर योग का प्रक्टिकल अनुभव कराया।