- नेपा लिमिटेड़ के लोकार्पण को 66 साल पूर्ण होने पर सीएमडी ने कारखाना परिसर में किया ध्वजारोहण
बुरहानपुर
Published: April 27, 2022 05:25:45 pm
- पूजन के बाद दिया कर्मचारियों को 5 मूल मंत्रों पर काम करने का संदेश
नेपानगर. एशिया की सबसे बड़ा कागज कारखाने का शुभारंभ 26 अप्रैल 1956 को किया गया था, जिसे 66 साल पूरे हो गए। स्थापना दिवस पर मिल पर ध्वजारोण किया और कर्मचारियों को बेहतर काम के लिए सीएमडी ने पे्ररित किया। सीएमडी देब ने कहा कि संस्थान में रिनोवेशन का कार्य पूरा हो चुका है। हमें रॉ मटेरियल की समस्या हो रही है। कोयला नहीं मिलने के कारण संस्थान में प्रोडक्शन सतत चलाने में परेशानी हो रही है। लेकिन वरिष्ठ प्रबंधन से चर्चा कर इस समस्या का भी हल निकालेंगे। उन्होंने कहा कि संस्थान से निकलने वाला पेपर बाजार में कड़ी चुनौती देने वाला है। इसलिए हमें रद्दी पेपर भी अधिक मात्रा में लेना होगा।
66वे वर्ष में कंपनी में रिनोवेशन का काम चल रहा है। कंपनी के सीएमडी सौरभ देब ने कुछ बचा हुआ काम मई माह के तीसरे सप्ताह में पूूरा कर कंपनी का पहिया दोबारा शुरू करने की बात कही है। मंगलवार को नेपा डे के अवसर पर उन्होंने कहा कि कंपनी कर्मचारी एवं नगर की जनता ने विभिन्न चुनौतियों के बाद संयम बनाए रखकर काम जारी रखा है। अब कंपनी दोबारा अपने पैरों पर खड़ी होकर पूर्व के किर्तीमान को हासिल करेंगी।
मेन गेट पर किया ध्वजारोहण
नेपा डे के अवसर पर मंगलवार को सीएमडी ने कंपनी के मेन गेट पर ध्वजारोहण किया। इसके बाद कारखाना परिसर में भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना की। मौजूद अधिकारी एवं कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि नेपामिल ऐतिहासिक मिल रही है। हम सभी को मिलकर कार्य करना है। ताकि हम इसके गौरव को पुन:ला सके। उन्होनें उपस्थितों को जुनून, विश्वास, अनुशासन, ईमानदारी और टीम वर्क के पांच मूलभूत मंत्रों पर काम करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि यदि हम इन बातों को अपनी कार्यशैली में अपना लेंगे, तो निश्चित ही हमारी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बनी रहेगी और हमारी मिल को ऐतिहासिक मिल बनने से कोई नहीं रोक सकता है।
ऐसा है मिल इतिहास
नेपा लिमिटेड को 26 अप्रैल 1956 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्र को समर्पित किया था। शुरूआत में कंपनी वनोपज सलाई और बांस, नीलगिरी आदि पर निर्भर थी। 1981 तक नेपा मिल प्रदेश की एकमात्र न्यूज प्रिंट बनाने वाली मिल थी। अगस्त 1996 से मार्च 1997 तक कंपनी बंद थी। 1997 से स्वयं के पॉवर जनरेशन से दोबारा अस्तित्व में आई। वर्ष 1998 में कंपनी वेस्ट पेपर पर निर्भर हो गई। तब से रद्दी कागज से भी रिसायकल कर न्यूज प्रिंट बनाया जा रहा था। 2016 से उत्पादन पूरी तरह बंद हो गया था।
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