जाग्रत आदिवासी दलित संगठन का कहना है कि रेंज ऑफिस में अपहरण और मारपीट कर वन विभाग द्वारा भारत सरकार एवं सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों एवं कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन किए जाने के बावजूद शासन-प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। आंदोलनकारियों के अनुसार यदि कानून का प्रचार-प्रसार गुनाह है, तो हम इसके दोषी है, और हम सभी को गिरफ्तार किया जाए। वन कटाई में शामिल वन अमले पर कार्रवाई की मांग भी जोरों से उठाई गई।
संगठन का मानना है कि बुरहानपुर के वन विभाग द्वारा 29 एवं 30 अगस्त को वन अधिकार दावेदारों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को अवैध रूप से रास्ते एवं कोर्ट से उठाया गया, इसके बाद उन्हें रेंज ऑफिस में बंधक बनाया गया, जो गैर कानूनी है। रेंज ऑफिस एक अधिकृत हिरासत केंद्र नहीं है। रेंज ऑफिस में कैलाश जमरे एवं प्यारसिंह वास्कले को यह कह कर बर्बरता पूर्वक पीटा गया कि तू ज्यादा कानून की बात कर रहा है। पूरे क्षेत्र में कानून-कानून करता रहता है। रेंज ऑफिस में हुई शारीरिक और मानसिक प्रताडऩा के कारण कैलाश जमरे गश खा कर न्यायालय परिसर में ही गिर गए और वे 6 दिन अस्पताल में भर्ती रहे। उनके शरीर पर चोटों के निशान पाए गए और वे 5 दिन तक खाना नहीं खा पाए, हफ्ते भर तक चक्कर आते रहे और अभी भी ठीक से चल नहीं पा रहे हैं।
मिलीभगत के बिना कटाई संभव नहीं
आंदोलनकारियों का मानना है कि वन अमले की मिलीभगत के बिना इतने बड़े पैमाने में वन कटाई संभव नहीं है। संगठन द्वारा दो महीने प्रशासन को जिले में चल रही अवैध कटाई के बारे में शिकायत एवं संबंधित जानकारी भी दी जा रही है, लेकिन जोर जबरदस्ती कर अवैध कटाई करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
इनकी मांग है कि कैलाश जमरे एवं उनके साथियों के साथ हुई अवैध अपहरण एवं मारपीट के लिए जिम्मेदार वन अधिकारियों पर तुरंत कार्रवाई की जाए एवं एफआईआर दर्ज की जाए। इसके साथ जागृत आदिवासी दलित संगठन द्वारा यह भी मांग की जा रही है कि अवैध वन कटाई पर रोक लगाते हुए कटाई को संरक्षण देने वाले सभी वन अमले पर तुरंत कार्यवाही की जाए।
एसडीएम और एएसपी ने की चर्चा
एसडीएम विशा माधवानी एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेंद्र तारणेकर ने प्रदर्शन का प्रतिनिधित्व कर रहे संगठन की माधुरी नारायणस्वामी से चर्चा की। हालांकि उन्होने सभी से चर्चा करने के बाद प्रदर्शन समाप्त करने से मना कर दिया। वे सभी अपनी मांग पर डटे हुए हैं। ऐसा नहीं होने तक वे थाने के सामने ही प्रदर्शन करते रहेंगे।
इधर, ग्रामीणों ने चुनाव के बहिष्कार की दी धमकी
एक तरफ जहां आदिवासियों द्वारा धरना देकर वन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है। वहीं दूसरी ओर ग्राम घाघरला के रहवासियों द्वारा वन भूमि पर हो रहे अवैध अतिक्रमण को लेकर सख्त कार्रवाई की मांग की है। वन सुरक्षा समिति के सदस्यों ने बताया कि बाहर के रहवासी आकर यहां अतिक्रमण के प्रयास कर रहे है। विभाग के पास पर्याप्त साधन एवं बल है, लेकिन इसके बाद भी समुचित कार्रवाई नहीं हो पा रही है। यदि जल्द इसको लेकर कार्रवाई नहीं हो पाती है तो गांव सहित आसपास के क्षेत्र के रहवासी आगामी उपचुनाव का बहिष्कार करेंगे।
– शिकायत पर हमने जांच के लिए आवेदन ले लिया था। उनका कहना है कि गिरफ्तारी गलत तरीके से की गई और चौकी में या थाने में भेजना था, लेकिन रेंज ऑफिस में रखा। किडनेपिंग का मामला दर्ज किया जाए गलत तरीके से पकड़ा गया। हमारा कहना है कि पहले से उस पर केस दर्ज है उसी आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया है अगर इसमें चूक हुई तो विभागीय तौर पर वन विभाग के डीएफओ कार्रवाई करेंगे।
– राहुल लोढा, एसपी बुरहानपुर