धरोहर-1
शहर से 8 किमी दूर कुंडी भंडारा जहां भूमिगत जल प्रणाली विश्व में एक मात्र जीवित धरोहर हैं। मुगल शासन काल में सूबेदार अब्दुल रहीम खान खाना ने 1695 ई में इसका निर्माण कराया था। यह मुगल शासन की अद्वितीय कलाकृति है। सतपुड़ा पहाडिय़ों के आंचल में भूमिगत जल स्त्रोत के अतुल भंडार की खोज करके चतुर कारीगरों ने चूना और पत्थर आदि से सदृढ सुरंग बनाई।
दुर्दशा : यहां बनी लिफ्ट पिछले डेढ़ साल से बंद है। इसलिए यहां पर्यटकों ने जाना छोड़ दिया। पहाड़ी से पेड़ गायब होने से जल स्तर काफी नीचे चला गया। कुंडियों में जम रही कैल्शियम से भी इसे खतरा बना हुआ है।
यह किला बुरहानपुर से लगभग 20 किमी दूर उत्तर दिशा में सतपुड़ा पहाड़ के शिखर पर समुद्र सतह से 750 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। पहले इस किले पर विजय प्राप्त करने के बाद दक्षिण का द्वार खुल जाता था। विजेता का संपूर्ण खानदेश क्षेत्र पर अधिपत्य स्थापित हो जाता था। यह किला 60 एकड़ भूमि में फैला है। पूर्व से पश्चिम तक इसकी लंबाई 3300 फीट और उत्तर से दक्षिण तक चौड़ाई 1800 फीट है।
दुर्दशा : असीरगढ़ किले तक पहुंचना आसान नहीं है। इसका आधा रोडसही है, बाकी जर्जर हालात में है। रोड के आसपास रैलिंग भी नहीं है। जहां नीचे गिरने का डर बना रहता है।
पुरातत्वविद् डॉक्टर महेश कुमार गुप्ता ने कहा कि बुरहानपुर की प्राचीन वस्तुएं नागपुर संग्रहालय और लंदन के लायब्रेरी की शोभा बढ़ा रही है। पूर्व में बुरहानपुर की राजधानी नागपुर थी। जहां कई सामग्री अब भी नागपुर के संग्रहालय में है। इसमें शाही किले में हमाम खाने का पत्थर है। शहर की प्राचीन जैन मूर्तियां रखी है। इसके अलावा बुरहानपुर के प्राचीन सोने के सिक्के, मप सरकार के पास है। प्राचीन उर्दू और परसियन में लिखी किताब लंदन के लायब्रेरी में रखी है। यहां व्यवस्थित म्यूजियम बन जाए तो यह सभी वस्तु हमारे शहर में लाने के प्रयास किए जा सकते हैं।
पर्यटन के क्षेत्र में लगातार काम हुए हैं। ताप्ती के घाटों का जीर्णोद्धार हुआ है। कई धरोहरों पर विकास कार्यहुए। आगे भी पार्टी के वरिष्ठों और हमारे सांसद को भी बताएंगे।
– विजय गुप्ता, भाजपा अध्यक्ष