देश के अन्य आपूर्तिकर्ताओं के मुकाबले सस्ते और अच्छे क्वालिटी के बकरम (कैनवास) के चलते यहां के बकरम मांग है। इसकी वजह है कैनवास की कीमत, फिनिशिंग और गुणवत्ता। हर दिन यहां से 300 गठान यानी 300 क्विंटल कैनवास की आपूर्ति हो रही है।
40 हजार पावरलूम पर होता है तैयार
देश में 150 शहरों में कपड़ा बनता है। इनमें से 47 शहरों में बड़े उद्योग हैं। इनमें बुरहानपुर भी शामिल है। शहर मेें 40 हजार पावरलूम पर कपड़ा तैयार होने के बाद इसकी फिनिशिंग से लेकर पैकिंग तक का काम हो रहा है। यह खासियत अन्य शहरों में नहीं है। यही वजह है कि बकरम का कपड़ा बना रहे मुंबई, कानपुर, अहमदाबाद जैसे शहर भी बुरहानपुर से पिछड़ गए हैं। बकरम का काम लॉकडाउन के बाद से बढ़ा है, क्योंकि यहां अन्य शहरों की तुलना में बकरम सस्ता है। मांग देखते हुए उद्योगपतियों का रुझान बढ़ रहा है।
सैयद फरीद, प्रदेश उपाध्यक्षलघु उद्योग संघ
सबसे ज्यादा ग्रे कपड़े या इंटरलाइन कैनवास का उत्पादन बुरहानपुर में होता है। उपयोग शर्ट के कफ-कॉलर बनाने में होता है। कफ-कॉलर और इसके रोल बुरहानपुर से भेजे जा रहे हैं। मुंबई की तुलना में माल सस्ता होने से बुरहानपुर को फायदा मिला और माल की मांग बढ़ गई।
मेक इन इंडिया
मांग के अनुरूप उत्पादन बढ़ने से बेहतर मशीनरी की जरूरत पड़ी, लेकिन देश में कोरोना संक्रमण और चीनी सामान के विरोध के चलते कारोबारियों ने वहां से मशीनरी मंगाने से इनकार कर दिया। स्थानीय कारीगरों को वीडियो दिखाकर मशीन बनाने को तैयार किया। शहर के कारीगरों ने चीनी मशीनों जैसी मशीनरी एक चौथाई खर्च में तैयार कर दी। इनमें कपड़ा रोल मशीन, रोल कटर, कफ कॉलर कटिंग व पैकिंग मशीनें आदि शामिल हैं।