अपवादों का मानकीकरण – अब पॉलिसी में केवल 17 तय अपवाद हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त किसी भी दूसरे अपवाद को अंडरराइट किया गया है। इनमें से अधिकतर अपवादों को डब्ल्यूएचओ द्वारा दी गई बीमारियों की परिभाषा के अनुरूप तैयार किया गया है, जो कि रोगों का अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण (आईसीडी) है। इसके अलावा इनका क्या अर्थ है और इसमें किसे अपवाद के रूप रखने की अनुमति है तथा बाहर रखने की अनुमति नहीं है, इस प्रकार से इनकी व्याख्या की जाएगी। ग्राहकों को व्यापक कवरेज प्रदान करने के लिए, पैनल ने सुझाव दिया है कि यदि विकलांगता के साथ कोई व्यक्ति किसी भी गंभीर बीमारी से पीड़ित है, तब भी वे एक अच्छा हेल्थ इंश्योरेंस प्राप्त कर सकते हैं। जिसमें बीमा कंपनी ग्राहक की सहमति के अनुसार इसे स्थायी अपवाद के रूप में मान सकती है।
पॉलिसी को खरीदने के बाद रोगों/बीमारियों को कवर किया जाएगा –
पॉलिसी खरीदने के बाद ग्राहक को यदि कोई भी बीमारी होती है (यदि उन्हें परिभाषित किया गया है और पॉलिसी में दिए गए 17 अपवादों का हिस्सा हैं) तो उसे भी कवर किया जाता है। इसमें मानसिक बीमारी, एचआईवी और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां जैसे हाइपरटेंशन भी शामिल हैं।
शराब से जुड़े मामलों भी शामिल –
यहां एक और बड़ा बदलाव देखने को मिला है वह यह कि अब शराब और उससे जुड़े मामलों में भी थोड़ी बहुत सुरक्षा मिल सकती है। जब तक कोई शराब की व्यसन मुक्ति के इलाज के लिए नहीं जा रहा है, तब तक अल्कोहल के प्रभाव में होने वाले मामलों को कवर किया जाएगा। लेकिन अवैध गतिविधि में शामिल मामलों को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा।
प्रतीक्षा अवधि का मानकीकरण-
प्रतीक्षा अवधि अब और अधिक मानकीकृत किया जा रहा है। अब लगभग सभी पॉलिसियों में 4 साल या उससे कम की मानक प्रतीक्षा अवधि होगी। कुछ निश्चित बीमारियों जैसे कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह, और हृदय रोगों के लिए, प्रतीक्षा अवधि घटकर 30 दिन होगी।
एडवांस मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए कवरेज-
इस प्रस्ताव के तहत, एक समर्पित हेल्थ टेक्नोलॉजी असेस्मेंट कमेटी का गठन किया जाएगा जो एडवांस ट्रीटमेंट और दवाओं को शामिल करने की अनुमति देगी। यह कमेटी एक स्व-नियामक निकाय के रूप में कार्य करेगी और यह तय करने का काम करेगी कि बताया गया उपचार बीमा योग्य माना जाएगा या नहीं। बीमा कंपनी इस कार्य समिति द्वारा सूची में पहले से जोड़े गए किसी भी महत्वपूर्ण इलाज को बाहर करने में सक्षम नहीं होगी।