सवालः एडवांस टैक्स की पहली किस्त में कितने प्रतिशत का भुगतान करना होता है? जवाबः अग्रिम आयकर आपके वार्षिक कर के एक हिस्से का अग्रिम भुगतान होता है। उन सभी मामले में अग्रिम कर का भुगतान करना अनिवार्य होता है जहां भुगतान योग्य अग्रिम कर 10,000 रुपए या उससे अधिक हो। अग्रिम कर का भुगतान उसी वर्ष में किया जाता है जिस वर्ष आय प्राप्त हुई हो और इसका भुगतान एक वित्तीय वर्ष के भीतर चार किश्तों में किया जाएगा।
सवालः एडवांस की पहली किस्त में कितने प्रतिशत का भगतान करना होता है? जवाबः पहली किश्त के तौर पर, देय अग्रिम कर वर्तमान आय पर कुल देय कर का 15% है और सभी कर दाताओं को इसका भुगतान 15 जून तक करना होता है।
सवालः आयकर रिटर्न भरने समय कुल आय में किन-किन चीजों को शामिल किया जाता है? जवाबः आयकर रिटर्न दाखिल करते समय, कुल आमदनी में आय के निम्नलिखित स्रोत शामिल होते हैं:
a) वेतन से आय
b) गृह संपत्ति से आय/हानि
c) व्यापार या पेशे से आय/हानि
d) पूंजीगत लाभ से आय/हानि
e) अन्य स्रोतों से आय/हानि
सवालः भारत में एडवांस कर भुगतान के लिए संवैधानिक प्रावधान क्या है आैर भुगतान करने के लिए कौन-कौन जिम्मेदार है? जवाबः आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 208 के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति जिसकी अनुमानित कर देयता एक वर्ष के लिए 10,000 रुपए या अधिक है, वह “अग्रिम कर” के रूप में अपने कर का अग्रिम भुगतान करेगा। हालांकि, एक निवासी वरिष्ठ नागरिक (यानि, मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के व्यक्ति) जिसकी व्यापार या पेशे से कोई आय नहीं है, अग्रिम कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं होंगे। सभी कर दाताओं के मामले में क्रमशः 15 जून, 15 सितंबर, 15 दिसंबर और 15 मार्च तक वर्तमान आय पर देय कर के 15%, 45%, 75% और 100% की 4 किश्तों में अग्रिम कर का भुगतान किया जाएगा।
सवालः एडवांस कर के भुगतान का तारीका क्या है? जवाबः आयकर नियम, 1962 के नियम 125 के अनुसार एक कॉर्पोरेट करदाता (यानी, एक कंपनी) अधिकृत बैंकों की इंटरनेट बैंकिंग सुविधा का उपयोग कर इलेक्ट्रॉनिक भुगतान मोड के माध्यम से करों का भुगतान करेगा। एक कंपनी के अतिरिक्त वह करदाता, जिन्हें अपने खातों का ऑडिट करने की आवश्यकता होती है, वे भी अधिकृत बैंकों की इंटरनेट बैंकिंग सुविधा का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनिक भुगतान मोड के माध्यम से कर का भुगतान करेंगे। कोई भी अन्य करदाता इलेक्ट्रॉनिक मोड या प्रत्यक्ष रूप से यानि कि प्राप्तकर्ता बैंक में चालान जमा करके टैक्स भुगतान कर सकता है।