scriptITR फाइल करने से पहले जरुर जान लें ये बातें | ITR filing 2018 - Know these important things before filing ITR | Patrika News

ITR फाइल करने से पहले जरुर जान लें ये बातें

locationनई दिल्लीPublished: Jul 16, 2018 02:59:53 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

अर्चित गुप्ता, संस्थापक और सीईओ, क्लीयरटैक्स

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वित्त वर्ष 2017-18 के लिए आयकर रिटर्न फॉर्म इस महीने की शुरुआत में नोटिफाई किए गए। आईटीआर1 के लिए स्कीमा जारी कर दिया गया है। शेष आईटीआर फॉर्म्स के लिए स्कीमा जल्द ही रिलीज होने की उम्मीद है। इसके साथ, टैक्स फाइलिंग का सीजन भी आ गया है! वित्त वर्ष 2017-18 के लिए अधिकांश लोगों के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई, 2018 है। जिनकी कुल सालाना आय 2.5 लाख रुपये से अधिक है, उन्हें अनिवार्य रूप से टैक्स रिटर्न दाखिल करना होगा। यह सीमा वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के) के लिए 3 लाख रुपए और अति-वरिष्ठ नागरिकों (सुपर सीनियर सिटीजन, जो 80 वर्ष और उससे अधिक उम्र से ज्यादा के हो) के लिए 5 लाख रुपये है।


हमेशा की तरह इस बार भी रिटर्न को सही और सटीक फाइल करना अनिवार्य है; आयकर विभाग के सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर, सीपीसी, बेंगलुरू ने टैक्सपेयर्स के लिए “कॉशनरी एडवाइजरी” (सतर्कता बरतने के लिए परामर्श) जारी किया है। यह विशेष रूप से वेतनभोगी वर्ग को आयकर रिटर्न में गलत रिपोर्टिंग के लिए दंडनीय परिणामों की चेतावनी देता है। वैसे, गलत फाइलिंग के लिए जुर्माने के संबंध में कानून में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन इस तरह के निर्देश के मद्देनजर यह समझना आवश्यक है कि रिटर्न दाखिल करने के महत्वपूर्ण पहलू क्या हैं, जिनकी अनदेखी नहीं की जा सकती।

1. सुनिश्चित करें कि आप इनकम का रिटर्न फाइल करें और वह भी समय परः जैसा कि पहले से ही चर्चा चुकी है, यह सुनिश्चित करें कि यदि आपकी आय 2.5 लाख रुपये की बेसिक थ्रेशोल्ड लिमिट पार करती है तो आप आयकर रिटर्न दाखिल करते हैं। रिटर्न दाखिल करने में देरी होने पर धारा 234-एफ के तहत 10,000 रुपये तक जुर्माना लग सकता है।


2. फॉर्म 16 का इस्तेमाल: आईटीआर1 को हाल ही वित्त वर्ष 2017-18 के लिए अधिसूचित किया गया है। इसमें आपकी सेलरी के ब्रेकअप की आवश्यकता होती है। ऐसे में यह सभी जानकारी देने के लिए आपको अपने फॉर्म 16 पर काफी हद तक निर्भर रहना पड़ सकता है। वास्तव में टैक्स फाइलिंग प्लेटफार्मों पर एक विकल्प होता है जहां आप अपना फॉर्म 16 अपलोड कर सकते हैं। इससे रिटर्न के उद्देश्य के लिए सभी जरूरी जानकारी फॉर्म 16 से खुद-ब-खुद हासिल हो जाती है। यह सुनिश्चित करता है कि आपके रिटर्न में कम से कम समय लगे और उसमें न्यूनतम त्रुटियां हो। इसके अलावा आपको यह चिंता नहीं करनी पड़ती कि नियोक्ता का टैन और अन्य जानकारी का सही उल्लेख किया गया है या नहीं क्योंकि वह खुद-ब-खुद भरे जाते हैं।

 

3. फॉर्म 26एएस की उपलब्धता: इनकम टैक्स पोर्टल से डाउनलोड करने के लिए एक और महत्वपूर्ण दस्तावेज है- फॉर्म 26 एएस। यह आपकी रिटर्न फाइलिंग में मदद कर सकता है। इस फॉर्म में आपके आय स्रोतों पर कटौती किए गए टैक्स का ब्योरा शामिल होता है, जिसमें वेतन, ब्याज, पेशेवर रसीद इत्यादि शामिल है। एक तरफ से आप अपने फॉर्म 16 में दिखाई दे रहे टीडीएस को 26एएस के रूप में दिखा सकते हैं। इसके अतिरिक्त, यह फ़ॉर्म आपको अन्य आय का विवरण प्राप्त करने में मदद करता है, जिसे आपको अपनी रिटर्न में जाहिर करना चाहिए। इन पर किए गए टीडीएस के क्रेडिट का दावा भी होना चाहिए। हालांकि, ध्यान दें कि बचत खाते से ब्याज पर कोई टीडीएस कटौती नहीं की गई है और इसलिए सुनिश्चित करें कि आप अपनी आय में इस आय का खुलासा करें। भले ही कोई कर देय न हो, क्योंकि आप धारा 80 टीटीए के तहत 10,000 रुपये तक उपलब्ध कटौती का दावा कर रहे हैं; आपको अपने टैक्स रिटर्न को फाइल कर इसका दावा करना होगा।


4. वापसी में छूट का उचित दावा करना: वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान, हो सकता है कि आपने कर बचाने वाले साधनों में इन्वेस्टमेंट किया हो, जो आपको धारा 80सी के तहत कटौती का दावा करने की अनुमति देता है। सुनिश्चित करें कि आपने निवेश की सीमा तक छूट का दावा किया है। बाद में आयकर अधिकारियों द्वारा बुलाए जाने पर ऐसे निवेशों को साबित करने के पुख्ता सबूत आपके पास हैं। यहां यह भी ध्यान दें कि यदि नियोक्ता ने द्वारा फॉर्म 16 में आपको दिए जाने वाले लीव ट्रैवल अलाउंस और मेडिकल अलाउंस से संबंधित छूट नहीं दी है तो आप रिटर्न दाखिल करते वक्त उसका दावा नहीं कर सकते हैं।

5. अपनी सारी आय का खुलासा करें: आप यह सुनिश्चित करें कि फाइल किए गए इनकम टैक्स रिटर्न में आपने आय के अपने सभी स्रोतों का खुलासा किया है। यदि आप किसी भी व्यवसाय या पेशे से आय प्राप्त करने वाले वेतनभोगी व्यक्ति हैं, तो अपनी रिटर्न फाइल करने के लिए उचित फॉर्म चुनें जैसे- आईटीआर 3 या आईटीआर 4 (यदि आप अनुमानित कर का विकल्प चुनते हैं)। यदि आप आईटीआर1 चुनते हैं और व्यवसाय या पेशे से अपनी आय का खुलासा नहीं करते हैं, तो यह कानून का उल्लंघन होगा और इस पर आपको जुर्माना चुकाना पड़ सकता है।


आपको यह भी ध्यान में रखना होगा कि आपको हर आय का खुलासा करना होगा, भले ही उस पर आपको छूट मिल रही हो। कैपिटल गेन्स में भी कोई भी व्यक्ति रिटर्न फाइल करते वक्त ही इसका खुलासा कर सकता है और इस पर क्लेम कर सकता है। उदाहरण के लिए यदि आप संपत्ति बेच रहे हैं और उस लाभ को पूरी तरह नई संपत्ति पर खर्च कर रहे हैं तो इस लेन-देन का पूरा ब्योरा रिटर्न में दाखिल करें। यह आपको प्रॉपर्टी की बिक्री पर मिलने वाली राशि में से काटी गई टीडीएस को रिफंड हासिल करने में भी मदद करेगा।

6. सही बैंक खाता विवरण प्रस्तुत करें: यह आवश्यक है कि आप आईएफएससी कोड, बैंक का नाम, बैंक खाता संख्या इत्यादि सटीक बैंक खाता विवरण प्रस्तुत करें ताकि आप तुरंत अपने रिफंड हासिल कर सकें। अब, आईटीआर फॉर्म गैर-निवासियों को भारत के बाहर बैंक खाते का ब्योरा देने की इजाजत देता है, जो बैंक का आईबीएएन या स्विफ्ट कोड है, ताकि उन्हें सीधे रिफंड मिल सके। संक्षेप में, विभाग ने गलत रिटर्न फाइलिंग पर गंभीर दंड को लेकर टैक्सपेयर्स को आगाह किया है। हमारा मानना है कि यह उन करदाताओं के लिए नये करदाताओं के लिए निर्देशित हैं जो जानबूझकर आंकड़ों में हेरफेर करते हैं, तथ्यों को दबाते हैं, निवेश बढ़ाते हैं और टैक्स चोरी के लिए खर्च बढ़ाते हैं।


7. यह देखते हुए कि रिटर्न फाइल करने की समयसीमा खत्म होने में आपके पास अभी भी तीन महीने हैं, घबराइये नहीं। अपने सभी आवश्यक विवरण / दस्तावेजों के साथ स्वयं को लैस करना शुरू करें जो आपके रिटर्न फाइलिंग अनुभव को कम कष्टकारी करेगा और इसे त्रुटि मुक्त रखने में मदद करेगा। यहां दी गई उपायों पर ध्यान दें और आप एक कम्प्लायंट टैक्स फाइलर बन जाएंगे!

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