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करदाताओं, वेतनभोगियों और उद्यमियों की बजट से हैं ये उम्मीदें

locationनई दिल्लीPublished: Jan 21, 2019 03:55:52 pm

Submitted by:

manish ranjan

श्री अर्चित गुप्ता, संस्थापक और सीईओ क्लीयरटैक्स

श्री अर्चित गुप्ता

उम्मीदें! बजट 2019 से बहुत अधिक अपेक्षित है

नई दिल्ली। जैसा कि वर्ष के इस समय नियमित रूप से होता है, मीडिया बजट की उम्मीदों से उत्साहित है और करदाता-वेतनभोगी और उद्यमी- की उम्मीदें कुछ ज्यादा ही रहती हैं कि नया बजट उन्हें अपने आयकर को बचाने में मदद करेगा। उसी के संबंध में कुछ अपेक्षाएं इस प्रकार हैंः

बैंगलोर, पुणे, हैदराबाद जैसे टायर-2 शहरों में एचआरए लिमिट में बढ़ोतरी

भारतीय आयकर प्रावधान केवल मुंबई, दिल्ली, कोलकाता और चेन्नई को महानगर मानते हैं और हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) के तहत वेतन के 50% तक का दावा किया जा सकता है। पुणे, बैंगलोर, हैदराबाद और गुड़गांव जैसे शहरों में घर का किराया बढ़ने के साथ ही यह उम्मीद की जाती है कि नया बजट उन्हें महानगरों की सूची में जोड़ेगा, ताकि इन शहरों के निवासी भी उसी तरह के लाभ का दावा कर सकें।

धारा-80 सी के तहत छूट की सीमा में वृद्धि

पिछली बार धारा 80-सी के तहत निवेश सीमा को केंद्रीय बजट 2014-15 में संशोधित किया गया था और 1 लाख से रुपए से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपए किया गया था। बढ़ते आय स्तर और मुद्रास्फीति के साथ यह राशि अब करों पर बचत के लिए पर्याप्त नहीं है। हमें उम्मीद है कि नया बजट धारा 80 सी के तहत छूट की सीमा को बढ़ाकर 2 लाख रुपए करेगा।

साझेदारी फर्मों / एलएलपी के लिए कर की दर में कमी

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2015 में बजट प्रस्तुत करने के दौरान आश्वासन दिया था कि वह आने वाले वर्षों में कॉर्पोरेट टैक्स की दर को घटाकर 30% से 25% करेंगे। 2018 में उन्होंने टर्नओवर के संदर्भ में निर्दिष्ट कंपनियों के लिए दर में कटौती की, लेकिन यह कर राहत केवल पंजीकृत कंपनियों तक ही सीमित थी और साझेदारी फर्मों और एलएलपी को नहीं। इस साल एलएलपी और साझेदारी कंपनियों को समान लाभ प्राप्त होने की उम्मीद है।

लिस्टेड सिक्योरिटीज पर एलटीसीजी पर स्पष्टीकरण

इक्विटी पर लाभ यदि एक लाख रुपए से अधिक है तो बजट-2018 में इस पर 10% एलटीसीजी टैक्स लगाया गया है। इसके साथ ही ग्रोथ ऑप्शन से लेकर डिविडेंड ऑप्शन या इसके विपरीत में स्विच करना दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ या एलटीसीजी टैक्स के अधीन है। हालांकि, यूलिप और एनपीएस के मामले में एक ही स्कीम के भीतर यानी डेट से इक्विटी तक के स्विच या उनके बीच की संपत्ति फिर से आवंटित करने पर टैक्स नहीं लगता है। यह आशा की जाती है कि इस पर कुछ स्पष्टता होगी और किसी योजना के भीतर किए गए स्विच एलटीसीजी कर के लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।

आवास ऋण पर ब्याज राहत का विस्तार करें

होम लोन उन सबसे बड़े लोन में से एक है जिसका लाभ व्यक्ति अपने जीवन में उठा सकता है। सिर्फ 2 लाख रुपए तक के ब्याज कम्पोनेंट पर छूट अब पर्याप्त नहीं हैं। घर खरीदने वाले कम से कम 2.5 लाख रुपये तक के ब्याज भुगतान पर छूट मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। व्यक्तिगत करदाता 50,000 रुपए के अतिरिक्त लाभ की उम्मीद कर रहे हैं।

बजट 2019 के बाद प्रभावी होंगे नए एनपीएस नियम

सरकार ने पिछले महीने नए एनपीएस नियम जारी किए गए जो 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश किए जाने के बाद लागू होंगे। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के एनपीएस योगदान में सरकार की हिस्सेदारी में 4% की वृद्धि (10% से 14% तक) की जा रही है। इसके अलावा एनपीएस निकासी को 60% तक कर मुक्त बनाया जाएगा। बाकी अनिवार्य रूप से वार्षिकियों में निवेश किया जाना चाहिए। यह उम्मीद की जाती है कि ये प्रावधान सभी करदाताओं पर लागू होंगे, सिर्फ केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए नहीं- यह निश्चित रूप से सेवानिवृत्ति योजना के लिए एक लोकप्रिय योजना के रूप में एनपीएस को बढ़ावा देगा।

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