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खरीदने जा रहे टू-व्हीलर इंश्योरेंस तो इन बातों का रखें ध्यान, होगा बड़ा फायदा

तरुण माथुर – चीफ बिजनेस ऑफिसर, जनरल इंश्योरेंस, पॉलिसीबाज़ार.कॉम

नई दिल्लीJun 12, 2018 / 04:28 pm

Ashutosh Verma

खरीदने जा रहे टू-व्हीलर इंश्योरेंस तो इन बातों का रखें ध्यान, होगा बड़ा फायदा

अपने लिए एक नई टू-वीलर खरीदना खुशी का मौका होता है। खासकर जब आप अपना पहला टू-वीलर खरीदने जाते हैं तो यह खुशी थोड़ी ज्यादा होती है। आपका डीलर इस वाहन के बारे में सबकुछ बताएगा, जैसे इसके फीचर, कीमत और अलग-अलग मॉडलों में क्या अंतर है। लेकिन क्या उसने आपको इस वाहन के लिए दी जा रही मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी के बारे में भी सबकुछ बताया है। एक टू-वीलर इंश्योरेंस पॉलिसी में दो प्रकार के कवर होते हैं। एक है थर्ड पार्टी (टीपी) इंश्योरेंस और दूसरा है ओन डैमेज (ओडी) इंश्योरेंस। क्या आप इनके बारे में जानते हैं? थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में आपको किसी तीसरे पक्ष के कारण हुई दुर्घटना के लिए कवरेज मिलता है। टीपी इंश्योरेंस कानूनी रूप से अनिवार्य है और इसके बिना सड़क पर वाहन चलाना एक कानूनी अपराध है। वहीं दूसरी तरफ ओन डैमेज इंश्योरेंस अनिवार्य तो नहीं है लेकिन यह टीपी इंश्योरेंस से अधिक महत्वपूर्ण है। ऐसा इसलिए क्योंकि ओडी इंश्योरेंस में किसी दुर्घटना या फिर चोरी होने से हुए आर्थिक नुकसान से सुरक्षा दी जाती है।


अपने टू-वीलर की सुरक्षा के लिए यह जानना ज़रूरी है कि आप किस प्रकार की इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद रहे हैं। साथ ही इस मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी के फीचर और इसकी सीमाएं भी जानना ज़रूरी है। यहां कुछ बातें बताई जा रही है जो आपको अपने टू-वीलर के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने से पहले ज़रूर जाननी चाहिए।


इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू

इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू (आईडीवी) एक टू-वीलर इंश्योरेंस पॉलिसी का सबसे महत्वपूर्ण पहलू होता है। आईडीवी उस अधिकतम राशि को कहते हैं जो आपके वाहन की दुर्घटना होने या चोरी होने पर आपको मिलेगी। सरल शब्दों में कहें तो इंश्योरेंस कंपनी के लिए आपके वाहन के मूल्य को आईडीवी कहते हैं। दूसरी बात यह है कि इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम तय करने के लिए आईडीवी की प्रमुख भूमिका होती है। अगर आईडीवी कम होगा तो प्रीमियम भी कम होगा। इसलिए यह बेहतर होगा कि इंश्योरेंस कंपनी द्वारा दी जा रही अधिकतम आईडीवी ही चुनें ताकि आपके वाहन को पर्याप्त सुरक्षा मिल सके।


वाहन पुर्जों के मूल्य में गिरावट

आपके वाहन की कीमत समय के साथ घटती जाती है, जिसे डेप्रिशियेशन करते हैं। अपनी पॉलिसी को रिन्यू कराते वक्त या एक क्लेम करने पर बीमा कंपनियां इस बात पर ध्यान देती हैं। डेप्रिशियेशन की दर सभी बीमा कंपनियों में एक समान होती हैं और इसके लिए बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण द्वारा दिशानिर्देश जारी किये गये हैं। यह जानना आपके लिए इसलिए ज़रूरी है क्योंकि जब आप एक क्लेम फाइल करने जाते हैं, तो बीमा कंपनी आपको भुगतान करने से पहले वास्तविक क्लेम राशि में से डेप्रिशियेशन राशि काट लेती हैं। उदाहरण के लिए, वाहन में प्लास्टिक के हिस्सों की डेप्रिशियेशन दर 50% होती है। अगर आपके वाहन के साथ कोई दुर्घटना होती है तो उसके फ्रंट मडगार्ड को बदलने की ज़रूरत होगी। ऐसे में बीमा कंपनी आपके क्लेम के एवज में सिर्फ 50% राशि का भुगतान करेगी और बाकी आपको अपनी जेब से देना होगा। नीचे दी गई टेबल में वाहन के विभिन्न हिस्सों की डेप्रिशियेशन रेट दी गई है।

वाहन का हिस्साडेप्रिशियेशन रेट
रबर, नायलॉन, प्लास्टिक पार्ट्स50%
फाइबर ग्लास30%
ट्यूब और टायर50%
ग्लास0%

ज़ीरो-डेप्रिशियेशन एड-ऑन का महत्व

सभी बीमा कंपनियां एक ज़ीरो-डेप्रिशियेशन एड-ऑन प्रदान करती हैं, जो आप मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते वक्त ले सकते हैं। यह एड-ऑन डेप्रिशियेशन नियमों को समाप्त कर देता है और आपके वाहन को नुकसान होने की स्थिति में अगर उसके पुर्जों को बदलने या मरम्मत की ज़रूरत पड़ती है तो बीमा कंपनी इसके लिए पूरी राशि का भुगतान करने को बाध्य होगी। एक नई बजाज पल्सर 180 के लिए स्टैंडर्ड इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम रु. 1578 होता है और इसमें जीरो-डेप्रिशियेशन एड-ऑन जोड़ने के बाद प्रीमियम राशि रु. 1906 हो जाएगी।


किसी दुर्घटना में आपका वाहन अगर क्षतिग्रस्त हो जाए तो ऐसी स्थिति में ज़ीरो-डेप्रिशियेशन एड-ऑन काफी मददगार होता है। आमतौर पर बीमा कंपनी वाहन के क्षतिग्रस्त हिस्सों पर डेप्रिशियन रेट लागू करने के बाद ही मरम्मत या नए पुर्जे लगाने का खर्च देती है। लेकिन अगर आपके पास ज़ीरो डेप्रिशियेशन कवर है तो आपको अपनी जेब से कुछ भी नहीं चुकाना होगा और बीमा कंपनी ही पूरा खर्च देगी। वहीं, गाड़ी की चोरी होने पर बीमा कंपनी सिर्फ आपके वाहन की आईडीवी राशि का भुगतान करेगी और आपकी पॉलिसी लैप्स यानि समाप्त हो जाएगी। यह भी ध्यान रहे कि ज़ीरो-डेप्रिशियेशन कवर के अंतर्गत अधिकतर बीमा कंपनियां एक पॉलिसी वर्ष में सिर्फ 2 क्लेम की अनुमति देती हैं। इसके बाद आपकी पॉलिसी को एक स्टैंडर्ड पॉलिसी माना जाएगा और इसमें कोई भी ज़ीरो-डेप्रिशियेशन लाभ नहीं होंगे।

अपनी मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों की जानकारी रखने से आप कई सारी मुश्किलों से बच सकते हैं। इसलिए यह बेहद ज़रूरी होगा कि अपनी इंश्योरेंस पॉलिसी के विवरण को अच्छी तरह समझ लें और अपने लिए सबसे उपयुक्त पॉलिसी ही खरीदें।

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