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आसान हुआ ई-वे बिल जैनरेट करना, जीएसटीएन वेलिडेशन और टैक्‍स क्‍लेम की समस्‍या भी सुलझी

locationनई दिल्लीPublished: Jul 13, 2018 04:14:30 pm

Submitted by:

manish ranjan

अब ई-‍वे बिल जैरनेट करने के लिए किसी सरकारी पोर्टल पर जाने की आवश्‍यकता भी नहीं होगी।

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आसान हुआ ई-वे बिल जैनरेट करना, जीएसटीएन वेलिडेशन और टैक्‍स क्‍लेम की समस्‍या भी सुलझी

नई दिल्‍ली। जीएसटी की तरह ही छुट-पुट विरोध के बाद ई-वे बिल को भी अंतत: व्‍यापारी वर्ग ने स्‍वीकार कर लिया है। जिन लोगों को ई-वे बिल से महज इसकी पेचिदा प्रक्रिया से शिकायत रही है, उनके लिए यह खबर राहत देने वाली है, चूंकि ई-वे बिल जैनरेट करने के लिए अब उन्‍हें लम्‍बी प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा। उनका यह काम पलक झपकने जितना आसान बना दिया गया है। अब उन्‍हें ई-‍वे बिल जैरनेट करने के लिए किसी सरकारी पोर्टल पर जाने की आवश्‍यकता भी नहीं होगी।
इस तरह सरल हुई प्रकिया

ई-वे बिल जैनरेशन की प्रक्रिया को सरल बनाया है अकांउंटिंग सोफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी ‘बिजी इंफोटेक’ ने। इस बाबत अधिक जानकारी देते हुए बिजी इंफोटेक के मुख्‍य तकनीकी अधिकारी राजेश गुप्‍ता ने बताया , ’’ ई-वे बिल की प्रक्रिया के सरलीकरण के लिए बिजी 2018 में कुछ खास फीचर्स को शामिल किया गया है। अब तक ऑन लाइन ई-वे बिल बनाने के लिए आपको सरकारी वेबसाइट पर जाना पडता था और फिर वहां विवरण भरने की लंबी प्रक्रिया से गुजरना पडता था। लेकिन बिजी 2018 में अब आपको ऐसा करने की तकलीफ नहीं उठानी पडेगी। आप इस सोफ्टवेयर से ही महज कुछ आसान सी कमांड्स के जरिए ई-वे बिल जैनरेट कर सकेंगे। विशेषकर उन व्‍यावसाइयों का काम इससे काफी आसान हो सकेगा, जिन्‍हें रोजाना कई-कई ई-वे बिल जैरनेट करने पडते हैं।‘’
जीएसटी वेलिडेशन में नहीं होगी दिक्कत

इसके साथ ही जीएसटी नंबर के वेलिडेशन एवं टैक्‍स क्‍लेम संबंधी समस्‍याओं का समाधान भी तलाश लिया गया है। देश में आज भी ज्‍यादातर व्‍यापारी अपने लेन-देन का हिसाब-किताब यानी बही-खाता खुद ही मैनेज करते हैं। उन्‍हें सबसे अधिक समस्‍या जो बीत एक साल में पेश आयी है, वह है जीएसटी नंबर को वेलिडेट करने में। किसी भी माल की खरीद-बेच या सेवा पर उन्‍हें वेंडर से जीएसटी नंबर वाला इनवॉयस तो मिल जाता है, लेकिन महीने के आखिर में जब वे रिटर्न फाइल करते हैं, तो पता चलता है कि उन्‍हें मिले कई इनवॉयस के जीएसटी नंबर सही नहीं हैं।
जीएसटी नंबर वेलिडेट न होने के ये हैं कारण

जीएसटी नंबर वेलिडेट न होने के कई कारण हो सकते हैं। इसका एक सामान्‍य कारण है टाइपिंग में हुई गलती। अंग्रेजी के आई अक्षर और वन यानी 1 में तथा अंग्रेजी के ओ अक्षर एवं जीरो यानी 0 के फर्क को समझ पाना मुश्किल होता है। कई और भी कारणों से जीएसटी नंबर इनवेलिड हो सकते हैं। किसी भी जीएसटी नंबर को आप बिजी साफ्टवेयर में इंट्री करके न सिर्फ यह जान सकते हैं कि वह नंबर मान्‍य है अथवा नहीं, बल्कि यह भी पता लगा सकते हैं कि उक्‍त जीएसटी नंबर किस व्‍यवासायी या प्रतिष्‍ठान के नाम पर लिया गया है और कब लिया गया है आदि आदि।
जीएसटी रिटर्न फाइल होने ऐसे लगेगा पता

जीएसटी को लेकर सामने आयी दूसरी बडी समस्‍या इनपुट टैक्‍स क्रेडिट क्लेम की है। महीने के अंत में जब आप क्‍लेम करने जाओ तो आपको रिजेक्शन का सामना करना पडता है। क्‍लेम रिजेक्शन का एक बडा कारण यह सामने आया है कि वेंडर ने अपने इनवॉयस में जीएसटी चार्ज तो कर लिया लेकिन स्‍वयं उसने या तो जीएसटी जमा ही नहीं करवाया या फिर पूरा जीएसटी जमा नहीं करवाया। अगर आपका लेन-देन कई वेंडर्स से है तो ऐसे में यह समझ पाना टेढी खीर हो जाता है कि किस वेंडर ने जीएसटी रिटर्न फाइल नहीं किया है, जिसकी वजह से इनपुट टैक्‍स क्रेडिट लेने में समस्‍या आ रही है। अब इस दुविधा को भी बिजी साफ्टवेयर के रिकॉन्‍सीलेशन फीचर ने समाप्‍त कर दिया है। आपको महज अपने वेंडर के जीएसटी नंबर डालकर उनकी समरी डाउनलोड करनी है, और आपको पता चल जाएगा कि उन्‍होंने अपना जीएसटी रिटर्न फाइल किया है या नहीं।

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