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गेहूं, चीनी के बाद अब चावल की बारी, इस कारण से अब निर्यात पर बैन लगा सकती है सरकार

Rice Export Ban: गेहूं और चीनी के बाद अब सरकार चावल के निर्यात पर बैन लगाने पर विचार कर रही है। हालांकि, इसपर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा सामने नहीं आई है। यदि सरकार ऐसा करती है तो किन देशों पर पड़ेगा प्रभाव?

Jun 28, 2022 / 04:17 pm

Mahima Pandey

fortified rice

दुनियाभर में महंगाई ने सभी की कमर तोड़ रखी है। इसका प्रभाव न केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है बल्कि भारत की इकॉनोमी पर भी पड़ रहा है। भारत में महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सरकार पहले ही गेहूं और चीनी के निर्यात पर बैन लगा चुकी है। अब खबर आ रही है की सरकार चावल के निर्यात पर भी बैन लगा सकती है पिछले 5 दिनों में चावल के दामों में 10 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया है। बांग्लादेश ने चावल पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी और टैरिफ दोनों को ही 62.5 फीसदी से कम कर 25 फीसदी कर दिया। इस फैसले के बाद से चावल दामों में तेजी आई है।
वित्त मंत्रालय से जुड़े सूत्रों की मानें तो मंत्रालय चावल के निर्यात पर बैन लगाने पर विचार कर रहा है। हालांकि, अभी तक इसपर फाइनल कॉल नहीं लिया गया है। इससे पहले भी भारत द्वारा चावल के निर्यात पर बैन की खबरें सामने आईं थीं लेकिन तब सरकार ने इन खबरों को खारिज कर दिया था।

भारत के बैन लगाने का किन देशों पर पड़ेगा प्रभाव?
2019 और 2020 के बीच भारत चावल के निर्यात में तेजी से ऊपर जा रहा था, अब इसपर ब्रेक लग सकता है। यदि भारत चावल के निर्यात पर बैन लगाता है तो नेपाल, फिलीपींस, कैमरून और चीन जैसे देशों पर इसका सीधा असर पड़ेगा। ये सभी देश चावल के आयात के लिए भारत पर अत्यधिक निर्भर हैं। यूक्रेन और रूस में जारी युद्ध के कारण दुनियभर में गेहूं और चावल जैसे अनाज के दामों में भारी वृद्धि हुई है। इस जंग से दुनियाभर में खाद्यान्न आपूर्ति का संकट गहरा गया है।
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वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर पड़ सकता है विनाशकारी प्रभाव
भारत की गिनती दुनिया के टॉप चवाल उत्पादकों में की जाती है। वर्ष 2008 में भी जब महंगाई ने कमर तोड़ी थी तब सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर बैन लगा दिया था जिसका असर कई देशों पर पड़ा था। हालांकि, वर्ष 2010 में बैन को हटा दिया गया था। यदि भारत सरकर गेहूं के बाद चावल के निर्यात पर भी बैन लगाती है तो ये वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकता है।

गौरतलब है कि मई में सरकार ने पहले गेहूं के निर्यात पर बैन लगाया था और इसके कुछ दिनों बाद ही चीनी के निर्यात पर भी बैन लगा दिया था। घरेलू बाजारों में इन इनके दामों पर नियंत्रण के लिए ये कदम उठाया गया था।

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