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ई-कॉमर्स में एफडीआर्इ नियमों में बदलाव से अमेजन आैर फ्लिपकार्ट के डूबे 5000 करोड़ रुपए

देश की अग्रणी र्इ-काॅमर्स कंपनियां फ्लिपकार्ट आैर अमेजन को बड़ा झटका लगा है। इन दोनों कंपनियों को करीब 5 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होने की उम्मीद है। एफडीआर्इ नीति में बदलाव की वजह से एेसा हो सकता है।

Dec 29, 2018 / 11:02 am

Saurabh Sharma

ई-कॉमर्स में एफडीआर्इ नियमों में बदलाव से अमेजन आैर फ्लिपकार्ट के डूबे 5000 करोड़ रुपए

नर्इ दिल्ली। कुछ दिन पहले र्इकाॅमर्स इंडस्ट्री में एफडीआर्इ की नीति में बदलाव से फ्लिपकार्ट आैर अमेजन जैसी कंपनियों के 5000 करोड़ रुपए का नुकसान होने की उम्मीद है। इन दोनों कंपनियों के पास अभी 2.5 हजार करोड़ रुपए का माल रखा हुआ है। जिसे एक फरवरी से पहले बेचने की समय सीमा रखी गर्इ है। अब कंपनियों के सामने सवाल ये है कि कंपनियां कैसे इस विशाल भंडार को खत्म करेंगी। आपको बता दें कि कि अब कोर्इ र्इ-काॅमर्स कंपनी उस वेंडर का सामान अपने प्लेटफाॅर्म पर नहीं बेच सकेगी जिसमें उस र्इ-काॅमर्स कंपनी या उसकी ग्रुप कंपनियाें की हिस्सेदारी है।

करीब 5 हजार करोड़ रुपए का होगा नुकसान
देश की अग्रणी र्इ-काॅमर्स कंपनियां फ्लिपकार्ट आैर अमेजन को बड़ा झटका लगा है। इन दोनों कंपनियों को करीब 5 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होने की उम्मीद है। एफडीआर्इ नीति में बदलाव की वजह से एेसा हो सकता है। जानकारों की मानें तो ई-कॉमर्स कंपनियां फैशन, एसेसरीज और अपने टाइअप वाले ब्रैंड्स वाले दूसरी सॉफ्ट-लाइन कैटिगरीज के प्रॉडक्ट्स के तीन महीने के भंडार बनाती है। अमेजन के लिए क्लाउडटेल और फ्लिपकार्ट के लिए रिटेलनेट का यही काम है। ये दोनों कंपनियां छोटे-बड़े ब्रैंड्स से प्रॉडक्ट्स खरीदती हैं, जिन्हें ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म्स पर ऑनलाइन बेचा जाता है। जानकारोें की मानें तो फ्लिपकार्ट आैर अमेजन के पास करीब-करीब 5 हजार करोड़ रुपये के भंडार पड़े हैं।

त्योहारी सीजन में हुर्इ थी 2800 रुपए की बिक्री
वास्तव में फैशन और सॉफ्ट लाइन कैटिगरीज दोनों कंपनियों के तीन बड़े बिजनसों में शामिल हैं। अभी बीते त्योहारी मौसम में इस सेगमेंट के सामानों की बिक्री 2,500 से 2,800 रुपए की रही। जानकारों के अनुसार बिक्री में हिस्सेदारी के मामले में क्रमशः फ्लिपकार्ट, मिंट्रा और ऐमजॉन पहले, दूसरे और तीसरे नंबर पर रही। अब इन कंपनियों के बड़े अधिकारी एक महीने के अंदर अपने भंडार खाली करने के विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार क्लाउडटेल और रिटेलनेट जैसे अल्फा सेलर्स अपने भंडार को लेकर विभिन्न ब्रैंड्स से बातचीत करने वाले हैं।

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