अप्रेल में रेपो दर 0.25 प्रतिशत घटाने के बाद रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कहा था कि यदि आंकड़े अनुकूल रहते हैं तो भविष्य में और कटौती की जा सकती है। वहीं, मार्च के आंकड़ों से औद्योगिक उत्पादन के सुस्त पडऩे का संकेत मिलता है। विनिर्माण तथा खनन क्षेत्र में उत्पादन घटने के कारण आलोच्य महीने में औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक महज 0.1 प्रतिशत बढ़ा। खुदरा महंगाई का यह स्तर इस साल जनवरी के बाद सबसे ज्यादा है।
यूं बढ़ी महंगाई मार्च में 4.83 प्रतिशत, फरवरी में 5.26 प्रतिशत और जनवरी में 5.69 प्रतिशत रही, जबकि पिछले साल अप्रेल में खुदरा महंगाई 4.87 प्रतिशत थी। दालों की कीमतों में सबसे ज्यादा वृद्धि
रिपोर्ट के अनुसार अप्रेल महीने में सबसे ज्यादा दालों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। इस अवधि में 34 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसके बाद चीनी और कॉन्फेक्शनरी की कीमतें 11.18 फीसदी बढ़ी हैं। इसी तरह मीट, अंडे, अनाज और दूसरे प्रमुख खाने-पीने की चीजों में बढ़ोतरी हुई है। खाने-पीने के अलावा लोगों के लाइफस्टाइल पर भी असर हुआ है। अप्र्रेल में हेल्थ, कपड़े, एजुकेशन से लेकर दूसरी प्रमुख चीजें भी महंगी हुईं हैं।
मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर में बड़ी गिरावट मार्च में एक ओर बिजली, वाणिज्यिक वाहनों, टेलीफोन उपकरणों, सीमेंट तथा डीजल का उत्पादन बढऩे से औद्योगिक उत्पादन सूचकांक को बल मिला तो दूसरी ओर रबड़ इंसूलेटेड केबल, चीनी, बॉयलर, स्टेनलेस तथा अलॉय स्टील और प्लास्टिक मशीनरियों का उत्पादन घटने से इस पर दबाव रहा।
मार्च महीने में बिजली क्षेत्र का उत्पादन 11.3 प्रतिशत बढ़ा, जबकि विनिर्माण क्षेत्र का 1.2 प्रतिशत तथा खनन क्षेत्र का 0.1 प्रतिशत घट गया। पूरे वित्त वर्ष के दौरान बिजली क्षेत्र का उत्पादन 5.6 प्रतिशत, विनिर्माण का 2.0 प्रतिशत तथा खनन का 2.2 प्रतिशत बढ़ा।