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ज्वैलरी, हैंडीक्राफ्ट के साथ ऑटो इंडस्ट्री को भी है रिसर्जेंट से उम्मीदें

राजस्थान मुख्य रूप से ज्वैलरी, हैंडीक्राफ्ट और टेक्सटाइल जैसे पारंपरिक
उद्योगों का गढ़ रहा है। लेकिन पिछले पांच सालों में यहां ऑटोमोबाइल सेक्टर
से जुड़ी गतिविधियां बढ़ी हैं। रिसर्जेंट राजस्थान से इस बार ऑटो सेक्टर
को काफी उम्मीदें हैं।

बालोदNov 04, 2015 / 10:25 am

Jyoti Kumar

राजस्थान मुख्य रूप से ज्वैलरी, हैंडीक्राफ्ट और टेक्सटाइल जैसे पारंपरिक उद्योगों का गढ़ रहा है। लेकिन पिछले पांच सालों में यहां ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़ी गतिविधियां बढ़ी हैं। रिसर्जेंट राजस्थान से इस बार ऑटो सेक्टर को काफी उम्मीदें हैं। 

इस क्षेत्र से जुडे़ जानकारों का कहना है कि यहां होंडा, अशोक लीलैंड और आयशर जैसी कंपनियों के मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट हैं। स्पेयर पाट्र्स की यूनिटें काफी कम है, जिसके चलते इन कंपनियों को कच्चे माल की आउटसोर्सिंग करनी पड़ती है और कंपनियों की ऑपरेटिंग कॉस्ट बढ़ जाती है। फिलहाल राजस्थान में 50 से 55 स्पेयर पाट्र्स यूनिटें है, जो काफी कम है। 

उत्तर में खपत अधिक
ऑटो एक्सपट्र्स के अनुसार ज्यादातर ऑटोमोबाइल कंपनियों के प्लांट दक्षिण क्षेत्र यानी चेन्नई, पुणे, बेंगलुरु जैसे शहरों में हैं, जिसकी प्रमुख वजह पोर्ट का नजदीक होना है, लेकिन खपत की बात करें तो देश में सबसे ज्यादा गाडि़यां उत्तरी भारत में बिकती हैं। इसलिए कई कंपनियां राजस्थान में निवेश की योजना बना रही हैं।

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हिस्सेदारी है कम
फोर्टी के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि निवेश के लिहाज से राजस्थान काफी सुरक्षित और लाभदायक स्थल हैं, क्योंकि दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर का सबसे बड़ा हिस्सा राजस्थान से होकर गुजरेगा। फिलहाल राजस्थान में ऑटो इंडस्ट्री के लिए काफी गुंजाइश है, क्योंकि बाकी उद्योगों के मुकाबले इस उद्योग की राजस्थान में हिस्सेदारी केवल तीन से चार फीसदी है, जबकि यहां इंफ्रास्ट्रक्चर की कोई कमी नहीं हैं। रीको के पास कई बड़े लैंड बैंक हैं।

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छात्रों को आस
राजस्थान से हर साल हजारों इंजीनियरिंग छात्र सिविल विषय (सब्जेक्ट) में इंजीनियरिंग करते हैं, लेकिन राजस्थान में ऑटोमोबाइल कंपनियों की कमी के चलते ये छात्र बीपीओ या अन्य सेक्टर में काम करने को मजबूर हो रहे हैं। 

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