मुरादाबाद

GST : घटाई गई दरों से अब भी संतुष्ट नहीं हुए व्यापारी, बोले- हमारे लिए तो कुछ नहीं बदला

सरकार द्वारा दरों में किए गए बदलावों से जहां देश की जनता को बड़ी राहत मिली है वहीं अभी कुछ व्यापारी इससे संतुष्ट नही हैं।

मुरादाबादNov 12, 2017 / 07:59 pm

pallavi kumari

gst

मुरादाबाद. सरकार द्वारा रोजमर्रा की 50 प्रतिशत चीजों की दरों में किए गए बदलावों से जहां देश की जनता को बड़ी राहत मिली है वहीं अभी भी कुछ व्यापारी ऐसे हैं जो इससे संतुष्ट नही हैं। दरअसल जीएसटी काउंसिल की शुक्रवार को एक बार फिर मीटिंग हुई, जिसमें रोजमर्रा की जरुरत की 50 प्रतिशत चीजों पर जीएसटी 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। इसकी जद में करीब 215 वस्तुएं आ रही हैं। इससे व्यापारियों के साथ आम लोग भी बड़ी राहत की बात कर रहे हैं। लेकिन कुछ व्यापारी अभी भी इससे संतुष्ट नहीं हैं। टीम पत्रिका ने शहर के व्यापरियों के साथ ही मार्केट एक्सपर्ट से उनकी राय जानी जिसमें लोग अभी और राहत की गुंजाइश ढूंढ रहे हैं।
महानगर के वरिष्ठ सी.ए अभिनव अग्रवाल के मुताबिक इस बार जो सहूलियत है वो वाकई स्वागत योग्य है। इससे आम आदमी को काफी फायदा मिलेगा, चीजों के दाम काम होंगे। वहीं उन्होंने बताया की इसमें सरकार ने अब रिटर्न में भी छूट दी है। पहले हर महीने रिटर्न भरना था अब छोटे व्यापारियों को राहत दी गयी है। इसके आलावा उन्होंने पेनाल्टी भी कम होने की जानकारी दी है, पहले रोज प्रतिदिन दो सौ रुपए था जोकि अब बीस रूपए से लेकर पचास रूपए हो गया है।
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उन्होंने बताया की इस फैसले ने मुरादाबाद की पीतल इंडस्ट्रीज को बहुत ज्यादा राहत नहीं दी। अभी आगे इसकी उम्मीद की जा सकती है, क्यूोंकि जीएसटी काउंसिल व्यापारियों से राय करके फैसले ले रही है। उधर जीएसटी की काउंसिल की सहूलियत से कपड़ा व्यवसाई बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं है। उनके मुताबिक उनके कारोबार को बहुत ज्यादा फायदा नहीं हुआ है। उनपर जो जीएसटी के तहत टैक्स थे वो यथावत हैं, सरकार को पहले की तरह ही उत्पादन टैक्स ही लगाना चाहिए।
मुरादाबाद थोक कपड़ा व्यापारी उद्योग के अध्यक्ष गिरीश भडूला ने बताया की हमें राहत नहीं मिली है, जिससे हमारा कारोबार बुरी तरह प्रभावित है। हमने पहले भी इस टैक्स का विरोध किया है, इसलिए सरकार से लगातार इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं। जबकि उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के जिलाधाक्ष्य दीपक अग्रवाल के मुताबिक जीएसटी जैसा टैक्स दुनिया में कहीं नहीं है। वहीं कुछ व्यापारी अभी इसे दस प्रतिशत करने की मांग कर रहे हैं।
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