लगातार बढ़ रहे एनपीए के कारण सरकारी बैंकों की हालत खराब हो चुकी है। सरकार का मकसद सरकारी बैंकों में बेहतर गवर्नेेंस बरकरार रखना है। इस मौके पर वित्त सचिव राजीव कुमार ने कहा कि सरकारी बैंकों में रखा आम आदमी का पैसा पूरी तरह सुरक्षित है। सभी बैंकों में जरूरी फंड का जो स्तर चाहिए उसे बरकरार रखा जाएगा। बैंकिग सचिव ने कहा कि सरकारी बैंकों का मकसद ग्राहकों को संतुष्ट करना है।
केंद्र सरकार ने साफ किया है कि बैंकों को रीकैपिटलाइजेशन के तौर पर कितना पैसा मिलेगा यह उनके प्रदर्शन पर निर्भर करेगा। केंद्र सरकार बैंकों के प्रदर्शन को इस आधार पर असेस करेगी कि कस्टमर को लेकर उनका रिस्पॉस कैसा है। लोन देने को लेकर बैंकों का रवेया कैसा है। एमएसएमई के साथ बैंक कैसे डील कर रहे हैं और वित्तीय समावेश पर बैंकों का प्रदर्शन कैसा है।
बैंक ऑफ बड़ौदा : 5375 करोड़ रुपए आईडीबीआई बैंक : 10610 करोड़ रुपए
केनरा बैंक : 4865 करोड़ रुपए
बैंक ऑफ इंडिया: 9232 करोड़ रुपए यूको बैंक : 6507 करोड़ रुपए
सेंट्रल बैंक : 5158 करोड़ रुपए