घरेलू कंपनियों ने चीन से आने वाली दवाओं को लेकर शिकायत की थी जिसपर सरकार ने कार्रवाई की थी। शिकायत करने वाली कंपनी आरती ड्रग्स लिमिटेड ने आरोप लगाया की चीन द्वारा दवा को डंपिंद मुल्य पर भेजा जा रहा है। शिकायत के बाद डायरेक्टरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज (DGTR) ने अपनी जांच में पाया कि चीन से इस दवा को भारत में डंपिंग मूल्य पर भेजा जाता है जिससे घरेलू उद्योग प्रभावित होता है। इसके बाद DGTR ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से ऑफ्लॉक्सासिन पर 5 साल के लिए डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश की।
DGTR मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अंतर्गत आता है, जो डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश करता है। DGTR की सिफारिशों को लागू करने का फैसला केंद्रीय वित्त मंत्रालय को तीन महीने के अंदर करना होता है। निदेशालय ने अधिसूचना में कहा, “प्राधिकार 5 वर्ष की अवधि के लिए इस उत्पाद पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की अनुशंसा करता है।” दवा पर ड्यूटी 0.53 डॉलर प्रति किलो ग्राम से 7 डॉलर प्रति किलोग्राम तक की ड्यूटी लगाने की सिफारिश की गई है। माना जा रहा है कि इस कदम से घरेलू फार्मा इंडस्ट्री को फायदा मिलेगा। ड्यूटी को लेकर अंतिम फैसला वित्त मंत्रालय लेगा।
ये दवा ब्रोंकाइटिस, न्यूमोनिया, त्वचा के इंफेक्शन सहित कई अन्य इंफेक्शन के इलाज में इस्तेमाल होती है।
घरेलू बाजार को सस्ते विदेशी प्रोडक्ट से बचाने के लिए एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया जाता है। जब कोई देश किसी उत्पाद को उसकी कीमत से भी कम कीमत पर निर्यात करता है तो उसे डंपिंग कहते हैं। इस डंपिंग से जिस देश में निर्यात किया जा रहा है, वहां बनने वाले प्रोडक्ट्स की कीमत पर असर पड़ता है।वहां की कंपनियों का मुनाफा प्रभावित होता है।