एेसा इसलिए संभव है क्योंकि इनकम टैक्स एक्ट के प्रस्तावित हालिया संशोधनों में कैश डिपोजिट तारीख के मामले में पहले की कोर्इ सीमा का उल्लेख नहीं है। एेसा इनकम टैक्स आैर इंडस्ट्री मामलों कें एक्सपर्ट का कहना है। अगर एेसा होता है तो यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आैर रेवेन्यू सेक्रेटरी के उन आश्वासनों केा खिलाफ होगा जिनमें उन्होंने 2.5 लाख रुपए तक की राशि पर किसी भी तरह की जांच नहीं करने की बात की है।
सोर्स बताना जरूरी डिपाॅजिटर को नाेटिस मिलने पर बताना होगा कि उसके पास वह कैश कहां से आया। कानून में बदलाव इसलिए किया गया है ताकि उस कैश डिपाॅजिट पर ज्यादा टैक्स वसूल किया जा सके, जिसके सोर्स के बारे में डिपाॅजिटर साफ तौर पर नहीं बता पा रहे हैं। कालाधन सफेद करने के लिए जनधन योजना के दुरुपयोग की खबर के बाद सरकार अधिक गंभीर होती जा रही है।