उद्योग जगत

2017 प्रॉपर्टी बाजार: रियल्टी में सुस्‍ती के बावजूद सस्‍ते घरों की मांग बढ़ी

सरकार की तरफ से कई नीतिगत पहल के बावजूद पूरे साल सुस्‍ती छाई रही, हालांकि अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट में अच्छी तेजी रही।

Dec 29, 2017 / 01:31 pm

आलोक कुमार

नई दिल्‍ली. साल 2017 प्रॉपर्टी बाजार के लिए मिलाजुला रहा। रियल एस्‍टेट बिल आने से जहां एक ओर इस सेक्‍टर में पारदर्शिता बढ़ी, वहीं दूसरी ओर मांग में सुधार देखने को नहीं मिला। सरकार की तरफ से कई नीतिगत पहल के बावजूद पूरे साल सुस्‍ती छाई रही, हालांकि अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट में अच्छी तेजी रही।

2018 में सुधार की उम्‍मीद
संपत्ति सलाहकार और डेवलपर्स के अनुसार, नीतिगत सुधारों में आवासीय रियल एस्टेट के सौदे को पहले से कहीं अधिक पारदर्शी बनाने का वादा किया गया है और बाजार में आशा है कि 2018 में बिक्री में सुधार होगा और नई इकाइयां लांच होंगी तथा घर खरीदारों का आत्मविश्वास बढ़ेगा। पिछले साल के अंत में केंद्र की आश्चर्यजनक नोटबंदी की घोषणा रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए ‘असली झटका’ थी। इस बीच, रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम (आरईआरए) को वित्तीय अनुशासन में सुधार, बाजार में पारदर्शिता को बढ़ावा देने और भ्रामक डेवलपर्स और दलालों से निपटने के लिए उपभोक्ताओं को स्पष्ट कानूनी विकल्प और भरोसा प्रदान करने के लिए लाया गया।

इंतजार करो औ देखो की नीति पर बायर्स
अनारक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी के अुनसार व्यापक सुधार किए गए हैं, जिससे भारतीय रियल एस्टेट कारोबार में सचमुच बहुत बदलाव आया है। जो काले धन को दूर करने और बाजार पारदर्शिता में सुधार पर केंद्रित है, ताकि देश के आवासीय अचल संपत्ति कारोबार को उपभोक्ताओं और निवेशकों के लिए बेहतर बनाया जा सके।”राष्ट्रीय रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल के उपाध्यक्ष प्रवीण जैन ने कहा कि नोटबंदी और रेरा लागू करने तथा जीएसटी लागू होने के बाद सभी हितधारकों ने ‘इंतजार करो और देखो’ की नीति अपना रखी है।

नए प्रोजेक्‍ट की लॉन्चिंग हुई कम
साल 2017 की तीसरी तिमाही तक आवासीय रियोजनाओं की लांचिंग में पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 33 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। साथ ही, किफायती आवास की श्रेणी में पहली तीन तिमाहियों में 27 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। इनमें से ज्यादातर ने नए सरकारी नियमों का फायदा उठाते हुए और उस श्रेणी में घरों को लांच किया है।

नाईट फ्रैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सामंतक दास ने कहा, “कई राज्य अभी भी इस प्रक्रिया में हैं या उनके पास आवश्यक बुनियादी ढांचा नहीं हैं। कुछ राज्यों के रेरा नियमों ने खरीदारों को निराश किया है।”आईसीआरए के एक अध्ययन के अनुसार, 2017 की तीसरी तिमाही तक अधिकांश प्रमुख राज्यों ने अपने रियल एस्टेट नियमों को अधिसूचित कर लिया था और रेरा अधिनियम के तहत आवश्यक रीयल एस्टेट विनियामक प्राधिकरणों की स्थापना कर ली थी।

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