जहां दुनियाभर की आर्थिक ताकतें मंदी की मार झेल रहीं हैं, वहीं भारत की अर्थव्यवस्था से काफी उम्मीदें हैं। बाजार को आगामी बजट से काफी उम्मीदें हैं। पिछले एक वर्ष में घरेलू बाजारों में 22 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है और निवेशकों के 18 लाख करोड़ रुपए की चपत लगी है। सुस्त वैश्विक अर्थव्यवस्था से बाजार डरा हुआ है, चीन सहित ग्लोबल मंदी का डर बाजार पर हावी हो गया है। पिछले कुछ समय में सरकारी बैंकों के शेयर 48 फीसदी और रियल्टी शेयर 45 फीसदी तक गिरे हैं। बीएसई मेंबर रमेश दमानी का सरकार को अपनी कमाई बढ़ाने पर फोकस करने की सलाह देते हैं। वह कहते हैं कि आईटीसी और एक्सिस बैंक शेयर बेचने पर फैसला होना चाहिए। साथ ही सरकार को नवरत्न कंपनियों के शेयर भी बेचने चाहिए। सरकार को ग्रोथ पर फोकस करना जिसके लिए निवेश जरूरी है। दमानी कहते हैं कि सरकार को खस्ताहाल सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने की योजना बनानी चाहिए। रमेश दमानी के मुताबिक बाजार को स्थिर टैक्स नीति चाहिए और इसलिए पुरानी टैक्स नीति को पीछे छोड़ना होगा। एसटीटी से सरकार को काफी कमाई हो रही है, ऐसे में सरकार को टैक्स दरों से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। सरकार को बजट में बैंकों को नई पूंजी देने पर भी विचार होना चाहिए। एनाम होल्डिंग के मनीष चोखानी का कहना है कि सरकार के पास बड़ा मौका है। सरकार को बजट में टैक्स दायरा बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। सरकार को टैक्सेसन प्रणाली के सरलीकरण और ईज आॅफ डूइंग बिजनेस पर खासा ध्यान देने की जरूरत है। हेलियस कैपिटल के समीर अरोड़ा का कहना है कि ग्लोबल बाजारों की हालत खराब है, अब आगामी बजट पर सारी उम्मीदें टिकी हैं और सरकार को बड़े कदम उठाने होंगे। सरकार को सेंटिमेंट बिगड़ने वाले ऐलान करने से बचना चाहिए और इसके लिए कोई नया टैक्स न लगे इसका ध्यान रखना होगा। सरकार को कॉरपोरेट टैक्स पूरी तरह से खत्म नहीं करना चाहिए। सरकार को कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव नहीं करना चाहिए, वरना रिटेल निवेशकों के सेंटिमेंट बिगड़ सकते हैं और ऐसी स्थिति में बाजार 10 फीसदी तक गिर सकता है।