नई दिल्ली. हम में से अधिकांश लोगों के वेतन में बढ़ोतरी हो गई है। बढ़े हुए वेतन के साथ टैक्स देनदारी भी बढ़ गई है। अगर आप ऐसे इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट की तलाश में हैं जो सुरक्षित रिटर्न के साथ टैक्स सेविंग का विकल्प भी दे, तो बैंक फिक्स डिपॉजिट (एफडी) एक बेहतर विकल्प है। ऐसा इसलिए कि जीवन बीमा पॉलिसी या म्युचुअल फंड भी टैक्स सेविंग का विकल्प देते हैं, लेकिन इनमें रिटर्न की गारंटी नहीं दी जा सकती। किन निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प जो निवेशक अपने पैसे पर रिस्क नहीं लेना चाहते हैं और पांच साल तक के लिए पैसे को निवेश कर सकते हैं उनके लिए एफडी अच्छा विकल्प है। इसके साथ ही वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी इसे अच्छा विकल्प माना जाता है, क्योंकि सुरक्षित निवेश और फिक्स रिटर्न के साथ-साथ इसमें मार्केट के उतार-चढ़ाव का गणित नहीं लगाना पड़ता है। क्यों है बेहतर विकल्प एफडी में इन्वेस्टमेंट करना बहुत आसान है। सभी बैंकों में एफडी की सुविधा उपलब्ध है। इसमें डेढ़ लाख रुपए तक निवेश कर इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत टैक्स में छूट का लाभ लिया जा सकता है। हालांकि टैक्स से बचने के लिए एफडी का लॉक-इन पीरियड कम से कम पांच साल रखना जरूरी है। बैंक एफडी में 7.25 से लेकर 7.5 फीसदी तक ब्याज भी मिलता है। वहीं वरिष्ठ नागरिकों को 0.25 फीसदी अतिरिक्त ब्याज भी मिलता है। अच्छी बात यह है कि इस रिटर्न पर मार्केट के उतार-चढ़ाव का कोई असर नहीं होता है। कुछ खामियां भी एफडी एक सुरक्षित निवेश है, लेकिन इस पर मिलने वाला रिटर्न बेहद सीमित है। इसके चलते महंगाई का मुकाबला करने में यह इन्वेस्टमेंट के बाकी विकल्पों की अपेक्षा कमजोर है। साथ ही मिलने वाला ब्याज यदि 10 हजार रुपए से अधिक हो तो उस पर भी टैक्स लगता है। साथ ही लॉक इन पीरियड पांच साल होने के चलते आप अवधि पूरी होने से पहले पैसे नहीं निकाल सकते हैं।