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Flipkart-Walmart Deal: आयकर विभाग का दोनों कंपनियों को झटका, जाने क्‍या है पूरा मामला

देश की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों में शुमार फ्लिपकार्ट और वॉलमार्ट की डील पर आयकर विभाग ने संभावित डील के बारे में जानकारी मांगी है।

May 09, 2018 / 09:53 am

Saurabh Sharma

walmart

नई दिल्‍ली। Flipkart-Walmart Deal में सचिन बंसल और बिनी बंसल को बड़ा झटका लगा है। आयकर विभाग की ओर से दोनों डील पर टैक्‍स देने के लिए नोटिस दिया गया है। साथ वॉलमार्ट को भी आयकर विभाग की ओर से नोटिस भेजकर डील की जानकारियां मागी गई है। वहीं इस बारे में दोनों कंपनियों की ओर से कोई कमेंट नहीं आया है। लेकिन डील होने से कुछ समय पहले आयकर विभाग का यह नोटिस दोनों कंपनियों को काफी बड़ा झटका है।

आयकर विभाग का नोटिस
देश की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों में शुमार फ्लिपकार्ट और वॉलमार्ट की डील पर काफी पैनी नजर बनाए हुए है। टैक्स अधिकारियों ने वॉलमार्ट से लेटर भेजकर संभावित डील के बारे में जानकारी मांगी है। वहीं फ्लिपकार्ट से संभावित लेनदेन के बारे में बताने को कहा गया है। वॉलमार्ट को भेजे गए लेटर में उस संभावित डील का जिक्र है, जिसमें भारतीय ई-कॉमर्स कंपनी में शेयरहोल्डिंग को नॉन-रेजिडेंट्स को ट्रांसफर किया जा सकता है।

टैक्‍स का तो नहीं हो रहा है नुकसान
प्राप्‍त जानकारी के अनुसार इस डील में विद्होल्डिंग टैक्स से संबंधित इनकम टैक्स के प्रोविजंस लागू होंगे। आयकर विभाग ने वॉलमार्ट से भारत के टैक्स कानूनों के प्रावधानों, इस ट्रांजैक्शन पर लागू होने वाले कानूनों और टैक्स देनदारी को लेकर स्थिति स्पष्ट करने के लिए संपर्क करने को भी कहा है। फ्लिपकार्ट के बड़े फॉरेन इनवेस्टर्स में टाइगर ग्लोबल, एक्सेल पार्टनर्स और नैस्पर्स शामिल हैं। ऐसी संभावना है कि वॉलमार्ट इन इनवेस्टर्स की पूरी या आंशिक हिस्सेदारी खरीदेगी। टैक्स डिपार्टमेंट इस बात का पता लगाया चाहता है कि इस डील में आयकर विभाग को टैक्‍स का तो कोई नुकसान नहीं हो रहा है?

देना होता है टैक्‍स
जानकारों की मानें तो फाइनेंस एक्ट 2012 में इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 9(1)(i) के तहत इनडायरेक्ट ट्रांसफर से संबंधित प्रोविजंस जोड़े गए थे। जिसके तहत देश में मौजूदा किसी भी असेट के ट्रांसफर के जरिए नॉन-रेजिडेंट्स को इनकम प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर मिलना माना जाता है और इस पर 1 अप्रैल, 1962 से पिछली तारीख के प्रभाव के साथ टैक्स देना पड़ता है। जिसके बाद से देश में बिजनेसमैन को विदेश में ट्रांजैक्शन होने पर भी विद्होल्डिंग टैक्स देना पड़ता है, जोकि 10 से 20 फीसदी है।

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