रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुसार इंडस्ट्री की रेवेन्यू ग्रोथ 8 फीसदी तक पहुंच सकती है, जो दो साल की सबसे अधिक होगी। रेवेन्यू ग्रोथ में बेहतरी के संकेत पिछले वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही के दौरान ही मिलने लगे थे। यह ग्रोथ बढ़कर 6.5 फीसदी हो गई थी। जबकि उससे पहले की पांच तिमाहियों में यह महज एक से तीन फीसदी के बीच थी।
क्या ग्रोथ थी पहले सामान्य तौर पर पहले रेवेन्यू की औसत ग्रोथ 12 से 15 फीसदी रहती आई है। लेकिन पिछली तिमाहियों के दौरान इसमें काफी अधिक गिरावट आई थी। हालांकि महंगाई से एडजस्ट करने के बाद तस्वीर बेहतर लगने लगी है, क्योंकि टॉप लाइन ग्रोथ पिछले चार साल की औसत ग्रोथ से बेहतर रहने की संभावना है।
चीन से अधिक ग्रोथ भारतीय कंपनियां चीन, दक्षिण कोरिया, ताइवान और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों से काफी बेहतर परफॉर्म कर रही हैं। क्या हैं आधार यह रिपोर्ट 600 कंपनियों पर आधारित है। इनमें फाइनेंशियल और ऑयल एंड गैस सेक्टर से जुड़ी कंपनियां शामिल नहीं हैं।
किन सेक्टर में है अधिक ग्रोथ फार्मास्युटिकल, खपत आधारित सेक्टर्स, संगठित रिटेल, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और दो-पहिया वाहन उद्योग के सबसे अच्छे रहने की संभावना है। फार्मास्युटिकल सेक्टर की ग्रोथ भी 15 फीसदी रहने का अनुमान है। सीमेंट में 7 फीसदी की संभावना है।
ग्रोथ के कारण शहरी मांग में जोरदार इजाफा होने के साथ ही एक्सपोर्ट आधारित सेक्टर के अच्छे प्रदर्शन से ग्रोथ को गति मिली है। आईटी सर्विस इंडस्ट्री के बिजनेस में इजाफा और डॉलर के मुकाबले रुपया के 5 फीसदी अवमूल्यन होने से भी रेवेन्यू ग्रोथ को बल मिला है।