म्यूचुअल फंड

म्यूचुअल फंड में सस्ते निवेश से लेकर IPO तक के लिए राह आसान, सेबी ने लिए कर्इ अहम फैसले

बाजार नियामक सेबी ने कर्इ बड़े कदम उठाए हैं जिसके बाद से अब म्यूचुलल फंड निवेशकों के लिए निवेश करना पहले से सस्ता हो गया है। सेबी ने अपनी बैठक में एच आर खान आैर विश्वनाथ समिति की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है।

Sep 20, 2018 / 01:31 pm

Ashutosh Verma

म्यूचुअल फंड में सस्ते निवेश से लेकर IPO तक के लिए राह आसान, सेबी ने लिए कर्इ अहम फैसले

नर्इ दिल्ली। निवेशकों के लिए अच्छी खबर है। म्यूचुअल फंड में निवेश करना अब उनके लिए सस्ता हो गया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्यूचुअल फंडों द्वारा ग्राहकों से वसूले जाने वाले प्रबंधकीय खर्च (एक्सपेंस रेश्यो) को घटा दिया है। इसके अलावा सेबी ने बाजार में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आइपीओ) लाने की प्रक्रिया को सरल किया है। साथ ही एचआर खान समिति की सिफारिशों को मानते हुए विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआइ) के नियमों में भी ढील दी है।


इक्विटी फंडों के खर्चों में कटौती
साइज के आधार पर ओपन एंडेड इक्विटी स्कीम्स के एक्सपेंस रेशियो को घटाया गया है। 500 करोड़ रुपये तक के निवेश वाले फंडों के लिए 2.25 फीसदी एक्सपेंस रेशियो तय किया गया है, जबकि 50 हजार करोड़ से अधिक एसेट वाले फंडों के लिए इसे 1.05 रखा गया है। एक्सपेंस रेशो में कटौती से निवेशक साल में 1,300-1,500 करोड़ बचा पाएंगे। 2,000 से 5,000 करोड़ के फंड के लिए 0.10 फीसदी, 5,000 करोड़ से 10,000 करोड़ के फंड में 0.17 फीसदी और 10,000 से 20,000 करोड़ वाले फंड में 0.25 फीसदी का फायदा होगा। 50,000 करोड़ से बड़े फंड में निवेश करने वालों की लागत 0.40 फीसदी कम होगी। इसके अलावा सेबी ने म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटरों को अग्रिम (अपफ्रंट) कमीशन देने पर भी रोक लगा दी है। वर्तमान में म्यूचुअल फंड अपने डिस्ट्रीब्यूटर को दो फीसदी तक का कमीशन देते हैं।

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आइपीओ की लिस्टिंग अब केवल 3 दिन में
सेबी ने बताया कि आईपीओ बंद होने के 3 दिन के अंदर कंपनियों की लिस्टिंग होगी, जबकि अभी तक इसमें 7 दिन लगते हैं। इसके अलावा निवेशकों को आइपीओ मेें निवेश के लिए यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआइ) के जरिए भुगतान की सुविधा देने पर भी सहमति बन गई है। इन दोनों कदमों से आइपीओ लाने की प्रक्रिया में तेजी आएगी और उसमें निवेश आसान होगा।


एफपीआइ के लिए साझा आवेदन पत्र
सेबी एच आर खान समिति की सिफारिशें स्वीकार करते हुए एफपीआइ के लिए साझा आवेदन पत्र लाएगी। इसके अलावा एफपीआइ प्रवासी भारतीयों (एनआरआइ) और भारतवंशियों से जुड़ी बंदिशों में भी ढील दी जा सकती है। सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने बताया कि इसके लिए अलग से अधिसूचना जारी की जाएगी। बता दें कि 10 अप्रैल को एक सर्कुलर में सेबी ने एनआरआइ और भारतवंशियों के यहां निवेश करने वाले विदेशी फंड के लाभ अर्जित करने वाले स्वामी होने पर रोक लगा दी थी। इस कदम का विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने विरोध किया था।


बांड के जरिए 25 फीसदी पूंजी जुटा सकेंगी बड़ी कंपनियां
बड़ी कंपनियों को 25 फीसदी पूंजी का इंतजाम बांड के जरिए करने की बजटीय घोषणा को भी मंजूरी मिल गई है। इसे 1 अप्रेल 2019 से लागू किया जाएगा। इसके लिए 100 करोड़ से अधिक उधारी वाली और एए व उससे ऊपर की रेटिंग वाली कंपनी को ‘बड़ी कंपनी’ माना जाएगा।


ये फैसले भी महत्वपूर्ण
सेबी ने जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों, भगोड़े आर्थिक अपराधियों संग बाजार पर व्यापक प्रभाव डालने वाली कर्ज चूक करने वाली इकाइयों को मामलों के निपटारे की प्रक्रिया (सेटलमेंट मैकेनिज्म) से बाहर करने का फैसला किया है। किसानों को फायदा देने के लिए सेबी ने एग्री कमोडिटी डेरिवेटिव एक्सचेंज से एकमुश्त एक लाख रुपये का शुल्क लेने की घोषणा भी की है। पहले टर्नओवर के आधार पर शुल्क लिया जाता था। इसके अलावा विदेशी इकाइयों को कमोडिटी डेरिवेटिव मार्केट में निवेश की अनुमति दी गई है।

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