अर्थव्‍यवस्‍था

विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए आैर पीएसयू मर्जर कर सकती है सरकार, तैयार किया ये प्रस्ताव

रिपोर्ट्स के मुताबिक, बहुत जल्द ही सरकार अब हाइड्रोपावर फर्म एसजेवीएन को एनटीपीसी के हाथों सौंपने का प्लान बना रही है। बता दें कि इसमें सरकार की 63.79 फीसदी की हिस्सेदारी है। एनटपीसी ने भी इस अधिग्रहण को लेकर रुचि जतार्इ है।

Oct 31, 2018 / 02:43 pm

Ashutosh Verma

विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए आैर पीएसयू मर्जर कर सकती है सरकार, तैयार किया ये प्रस्ताव

नर्इ दिल्ली। चालू वित्त वर्ष में 80,000 करोड़ के विनिवेश में केवल 12.5 फीसदी ही पूरा करने के बाद सरकार अब सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज (सीपीएसर्इ) के विलय आैर अधिग्रहण के साथ-साथ सरकारी कंपनियों के शेयर बायबैक की तरफ तेजी से बढ़ रही है। सरकार यह कदम विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने उद्देश्य से उठा रही है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बहुत जल्द ही सरकार अब हाइड्रोपावर फर्म एसजेवीएन को एनटीपीसी के हाथों सौंपने का प्लान बना रही है। बता दें कि इसमें सरकार की 63.79 फीसदी की हिस्सेदारी है। एनटपीसी ने भी इस अधिग्रहण को लेकर रुचि जतार्इ है।


इन फर्म्स का भी हो सकता है विलय

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इसके साथ ही पावर सेक्टर की फाइनेंसिंग फर्म पावर फाइनेंस काॅर्पोरेशन (पीएफसी) आैर आरर्इसी लिमिटेड (पहले का नाम रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन काॅर्पोरेशन) का भी विलय होने की संभावना है। पीएफसी में सरकार की 65.64 फीसदी आैर आरर्इसी में 57.99 फीसदी की हिस्सेदारी है। करीब 15 दिन पहले ही यह खबर आर्इ थी की सरकार पीएफसी व आरर्इसी को बेचने के बारे में सोच रही है। इससे सरकार को करीब 14,000 करोड़ रुपए का फायदा होता।


सरकार के सामने है ये रोड़ा

सरकार का लक्ष्य इसके साथ ही एक आैर डील को मिलाकर कुल 21,000 करोड़ रुपए इकट्ठा करने का है। सूत्रों ने यह भी जानकारी दी है कि कुछ बड़े सीपीएसर्इ छोटे सीपीएसर्इ का अधिग्रहण करने के लिए इच्छा जता चुके हैं। हालांकि एनटीपीसी-एसजेवीएन डील को लेकर सरकार सामने एक सबसे बड़ा रोड़ा है। क्योंकि इसमें हिमाचल प्रदेश सरकार की भी 26.85 फीसदी की हिस्सेदारी है। एनएसपीसी लिमिटेड अौर पावर ग्रिड काॅर्पोरेशन लिमिटेड आॅफ इंडिया के विलय की संभावना की भी तलाश की जा रही है।


क्या है जानकारों का कहना

एेसे में सरकार की कोशिश होगी प्रस्तावित विलय की प्रक्रिया को जल्द से जल्द ही पूरा कर लिया जाए क्योंकि अब तक सरकार ने विनिवेश से केवल 10,028 करोड़ रुपए ही जमा कर सकी है। इसको लेकर कर्इ जानकार सभी पीएसयू मर्जर को लेकर इस विनिवेश प्रक्रिया से सहमत नहीं है। इस मामले से जुड़े एक जानकार का कहना है कि यदि सरकार अपने घाटे काे समय रहते हुए कम करना चाहती है तो लंबे अवधि में यह नुकसानदेह साबित हो सकता है। सरकार को इस बात की भी चिंता करनी चाहिए।

 

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