आपको बता दें कि आरआईएल आर उसकी पार्टनर कंपनी पूंजीगत और ऑपरेटिंग खर्च के बराबर की रकम अपने पास रख लेती थी। बांकी रकम सरकार और कंपनी में बंटवारा किया जाता था। अब पेनाल्टी लगने के बाद कंपनी यह रकम अपने खर्च वाली रकम में नहीं रख पाएगी। इससे सरकार के मुनाफे में बढ़ोतरी हो जाएगी। अधिकारी ने आगे यह भी बताया कि सरकार ने लागत निकालने के बाद अतिरिक्त 175 मिलियन डॉलर के प्रॉफिट शेयर पर दावा किया हैं।
केजी-डी ब्लॉक में धीरूभाई 1 और तीन गैस फील्ड से गैस प्रोडक्शन पर प्रतिदिन 80 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर उत्पादन होना चाहिए। लेकिन 2011-12 में वास्तविक प्रोडक्शन केवल 35.33 एफएमएससीएमडी, 2012-13 में 20.88 एफएमएससीएमडी और 2013 में 20.88 एफएमएससीएमडी रोजाना रहा। इसके आगे वाले वर्षों मे प्रोडक्शन लगातार गिरता रहा, अभी यह अपने सबसे निचले स्तर पर हैं। दोनों कंपनियों ने यही दलील दिया है कि रेत और पानी की वजह से गैस उत्पादन में कमी आई हैं।
एक न्यूज एजेंसी के अनुसार, इस बारे में आरआईएल और बीपी ने पिछले कुछ सालों मे पूंजीगत और ऑपरेटिंग खर्च के बाद बची रकम को चैलेंज किया हैं। इस मसले को उन्होने इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन में भी उठाया है, जहां इसे खत्म करने की मांग की गई हैं। कंपनियों का कहना है कि पीएससी के तहत ऐसे किसी भी तरह के दंड का प्रावधान नही हैं।
पीएससी के तहत सरकार ने कंपनियों की तरफ से 457 मिलियन डॉलर, 2011-12 में 548 मिलियन डॉलर, 2012-13 में 729 मिलियन डॉलर, 2013-14 में 579 मिलियन डॉलर को खारिज कर दिया हैं। यानी, गैस बेचने के बाद मिली रकम मेसे कंपनियों ने इन रकम को लागत बताया हैं।