सीबीडीटी के अनुसार, नोटबंदी के दौरान मोटी लेनदेन करने वालों के लिए स्वच्छ धन अभियान शुरू किया गया था। इस दौरान इन 60 हजार लोगों की पहचान की गई है, जिनमें 1,300 से अधिक लोग शामिल हैं। छह हजार ऐसे लेनदेन हैं जिनमें महंगी संपत्ति खरीदी गई है जबकि 6,600 मामलों में विदेशों में बड़ी धनराशि भेजी गई है।
अब सीबीडीटी इस अभियान के दूसरे चरण में इन सभी मामलों की विस्तृत जांच करेगा। आयकर विभाग ने नोटबंदी के मद्देनजर 9 नंवबर 2016 से 28 फरवरी 2017 तक 2,362 स्थानों पर छापेमारी, तलाशी और सर्वे किया है, जिसमें 622 करोड़ रुपए की नकदी सहित 818 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्ति कुर्क की है और 9,334 करोड़ रुपए की अघोषित आय का पता लगाया है।
आयकर विभाग ने 400 से अधिक मामले प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो को भेजे हैं। तीन हजार 400 से अधिक स्थानों पर सर्वे किया गया है। सरकार द्वारा की गई कार्रवाई का असर भी दिखने लगा है और वर्ष 2016-17 के आयकर रिटर्न में 21.7 प्रतिशत की बढोतरी हुई है। समग्र संग्रह में 16 फीसदी तथा शुद्ध कर संग्रह में 18 प्रतिशत से अधिक की बढोतरी दर्ज की गई है।
आयकर विभाग ने नोटबंदी के दौरान 9 नवंबर से 30 दिसंबर 2016 के बीच बैंकों में जमा की गई नकद राशि की जांच पड़ताल के लिए गत 31 जनवरी को स्वच्छ धन अभियान शुरू किया था। इसके पहले चरण में ई-वेरिफिकेशन किया गया। यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हुई और इसमें करीब 18 लाख ऐसे लोगों की पहचान की गई जिनका लेनदेन उनके कर आमदनी और खातों में पुराने लेनदेन के प्रोफाइल से मेल नहीं खाता था।
उन लोगों से लेनदेन को लेकर ऑनलाइन जबाव देने के लिए कहा गया था। इनमें 9.46 लाख लोगों ने नकदी जमा के स्रोतों के लिए तय मानकों के आधार पर जबाव दिया था। पैंतीस हजार मामलों में ऑनलाइन सवाल पूछे गए और 7,800 मामलों में ऑनलाइन वेरिफिकेशन किया गया। विभाग ने कहा कि अब दूसरा चरण शुरू किया जा रहा है जिसमें अधिक जोखिम वाले व्यक्तियों की विस्तृत जांच की जायेगी।