अगर खाताधारक ये जानकारी समय पर नहीं देता है तो बैंक और आर्थिक शाखाओं को अधिकार रहेगा कि वो इस को बंद कर सके। इसके बाद खाताधारक अपने खाते का उपयोग नहीं कर पाएगा। हालांकि खाता बंद हो जाने के बाद डीटेल्स देने पर फिर से चालू हो जाएंगे। यह प्रावधान उन्हीं खातों पर लागू होंगे जो एफएटीसीए नियमों के दायरे में आते हैं।
दरअसल, भारत और अमेरिका ने जुलाई 2015 में एक टैक्स इंफॉर्मेशन एग्रीमेंट साइन किया था जिसके माध्यम से दोनों देशों के बीच होने वाले ऑटोमेटिक आर्थिक लेन देन की जानकारी रखेगा जिससे टैक्स ना देने वालों और कालेधन पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।
इससे पहले बैंकों को यह प्रक्रिया 31 अगस्त 2016 तक पूरे करने के निर्देश दिए गए थे। बाद में यह तारीख 30 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दी गई थी। अब भी लोगों को उम्मीद थी कि एक बार फिर तारीख को बढ़ा दिया जाएगा। लेकिन अब आयकर विभाग ने साफ कर दिया है कि इस बार ऐसा नहीं होगा। ऐसे खाताधारकों को 30 अप्रैल तक यह काम पूरा करना ही होगा।