ये कंपनियां हैं जिन्हें मिली मंजूरी
भारत सरकार ने जिन 16 कंपनियों के प्रपोजल को मंजूरी दी हैं, वे हैं Samsung, Foxconn Hon Hai, Rising Star, Wistron और Pegatron जैसी कंपनियां। इसके अलावा तीन कंपनियां- Foxconn Hon Hai, Wistron और Pegatron एप्पल के लिए मैनुफैक्चरिंग करती हैं।
बतादें देश मे ही मोबाइल निर्माण करने वाली भारतीय कंपनियां जिनमें लावा, भगवती (माइक्रोमैक्स), पैडगेट इलेक्ट्रॉनिक्स, यूटीएल नियोलिंक्स और ऑप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स हैं। इनके भी आवेदन को मंत्रालय की ओर से मंजूरी दी गई है। इनमें से 6 कंपनियों को इलेक्ट्रॉनिक कम्पोनेंट सेगमेंट के तौर पर मंजूरी दी गई है। जिसमें AT&S, Ascent Circuits, Visicon, Walsin, Sahasra, और Neolync जैसी कंपनियां हैं।
मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग का लेखा-जोखा
सरकार ने जिन्हें मंजूरी दी हैं उनसे आगामी पांच साल में 10.5 लाख करोड़ रुपये मूल्य का निर्माण और 6.5 लाख करोड़ रुपये के बराबर एक्सपोर्ट होने का अनुमान लगाया गया है। इनमें से एप्पल की 37 फीसदी और सैमसंग की 22 फीसदी की हिस्सेदारी होगी जो मोबाइल फोन की दुनियाभर में बिकने वाले रेवेन्यू का करीब 60 फीसदी हिस्सा माना जा सकता है। जानकार मानते हैं कि इससे देश के मैनुफैक्चरिंग में कई गुना बढ़ोतरी हो सकती है।
कानून, न्याय, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी, संचार, मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि, “पीएलआई स्कीम के तहत बाहरी कंपनियों के साथ-साथ घरेलू मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस निर्माताओं से काफी आवेदन आए हैं। इंडस्ट्री ने अपना भरोसा दिखाया है, जिससे भारत एक वर्ल्ड लेबल का मैनुफैक्चरिंग डेस्टिनेशन बनकर शानदार प्रगति की राह पर है, जो भारत के प्रधानमंत्री के स्पष्ट आह्वान आत्मनिर्भर भारत की मजबूती को दर्शाता है।”
उन्होंने बताया कि जिन कंपनियों को स्वीकृति मिली है उन कंपनियों द्वारा 5,200 करोड़ रुपये से ज्यादा के प्रोडक्शन का प्रपोजल दिया गया था। दूसरी ओर मोबाइल फोन निर्माण करने वाली जिन घरेलू कंपनियों को अप्रूवल मिला है वे कुल मिलाकर करीब 1,25,000 करोड़ रुपये के प्रोडक्शन का प्रपोजल है।