उद्योग संगठनों ने रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा नीतिगत दरें स्थिर रखे जाने को उम्मीद के अनुरूप बताया, लेकिन कहा कि यदि दरों में कटौती की जाती तो इससे निजी निवेश बढ़ाने में मदद मिलती।
उद्योग संगठनों ने रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा नीतिगत दरें स्थिर रखे जाने को उम्मीद के अनुरूप बताया, लेकिन कहा कि यदि दरों में कटौती की जाती तो इससे निजी निवेश बढ़ाने में मदद मिलती।
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (FICCI)
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के अध्यक्ष हषर्वर्धन नेवतिया ने कहा, ‘रेपो रेट पर यथास्थिति जारी रखने का आरबीआई का फैसला उम्मीदों के अनुरूप है। हालांकि, मांग कमजोर बनी हुई है और उद्योगों के लिए लागत मूल्य में वास्तविक कमी नहीं आई है। निवेश बढ़ाने के लिए ब्याज दरों में कटौती अनिवार्य है।’
उन्होंने कहा, ‘हमारी नजर आगामी केंद्रीय बजट पर है, जिसमें मांग बढ़ाने तथा घरेलू पूंजीगत निवेश चक्र को पुनर्जीवित करने पर फोकस किया जाना चाहिए। स्टार्टअप के लिए सरकार द्वारा शुरू किए गए प्रयास उल्लेखनीय हैं तथा हम इस पर विस्तृत दिशा-निर्देश जल्द जारी किए जाने की उम्मीद करते हैं।’
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII)
भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ‘नीतिगत घोषणाओं का मुख्य फोकस मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने पर रहा। हालांकि, इसमें निकट भविष्य में ब्याज दरों में कटौती के संकेत नहीं हैं, केंद्रीय बैंक ने सरकार द्वारा वित्तीय सुदृढ़ीकरण तथा संरचनात्मक सुधारों को लागू किए जाने पर ऐसा करने का फैसला किया है।’
बनर्जी ने कहा,’यदि आरबीआई ब्याज दरों में कटौती करता तो इससे निवेश चक्र को पुनर्जीवित करने में तत्काल मदद मिलती। इसके अलावा वैश्विक विकास को लेकर अनिश्चितता और चीन की आर्थिक मंदी से आने वाले समय में कमोडिटी के दाम और गिरने का अनुमान है, जिससे घरेलू स्तर पर अवस्फीति का दौर जारी रह सकता है।’
उन्होंने उम्मीद आगामी बजट के बाद अप्रैल में होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई की ओर से ब्याज दरों में कटौती किए जाने की उम्मीद जाहिर की है, जिससे निजी निवेश बढ़ाने के सरकार के प्रयासों को गति मिलेगी तथा अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सकेगा।
भारतीय वाणिज्य एंव उद्योग मंडल (ASSOCHAM)
उद्योग संगठन एसोचैम के अध्यक्ष सुनिल कनोरिया ने भी मौद्रिक समीक्षा को उम्मीद के अनुरूप बताते हुए कहा कि वास्तविक चिंता यह है कि आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने महंगाई का अनुमान लगाते समय सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के प्रभाव को शामिल नहीं किया है।
उन्होंने कहा, ‘यदि वेतन आयोग की सिफारिशें पूरी तरह लागू कर दी जाती हैं तो यह अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी होगा। जनवरी में वाहनों की बिक्री का सुस्त पडऩा ऊंचे ब्याज दर के बीच गिरती उपभोक्ता मांग का स्पष्ट संकेत है। अर्थव्यवस्था में जोखिम में पड़ी परिसंपत्ति से तस्वीर और धूमिल हो जाती है।’