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शॉर्ट सेलिंग: जिसमें गिरते बाजार से भी मोटी कमाई कर लेते हैं निवेशक

शॉर्ट सेलिंग एक निवेश रणनीति है, जिसमें निवेशक उन शेयरों को उधार लेते हैं, जिन्हें वे मानते हैं कि उनकी कीमत गिरने वाली है। इसके बाद, वे उन शेयरों को बाजार में बेच देते हैं। जब शेयरों की कीमत गिरती है, तो निवेशक उन्हें वापस खरीदता है और उधार देने वाले को लौटा देता है। इसमें सेल हाई, बाय लो से लाभ होता है।

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जयपुर

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Jyoti Kumar

Sep 05, 2024

short selling

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शॉर्ट सेलिंग एक निवेश रणनीति है, जिसमें निवेशक उन शेयरों को उधार लेते हैं, जिन्हें वे मानते हैं कि उनकी कीमत गिरने वाली है। इसके बाद, वे उन शेयरों को बाजार में बेच देते हैं। जब शेयरों की कीमत गिरती है, तो निवेशक उन्हें वापस खरीदता है और उधार देने वाले को लौटा देता है। इसमें सेल हाई, बाय लो से लाभ होता है।

इसे ऐसे समझें


मान लीजिए किसी शेयर को 100 रुपए की कीमत पर उधार लेकर बेचा गया। फिर शेयर की कीमत घटकर 70 रुपए हो गई, अब आपने फिर से शेयर खरीदकर वापस कर दिया। इससे आपने 30 रुपए का लाभ कमाया।

कब करनी चाहिए


जब बाजार में गिरावट का रुझान, कीमत में गिरावट, शेयर के वॉल्यूम में वृद्धि, बाजार में ट्रेंड रिवर्सल, निगेटिव न्यूज आए, टेक्निकल इंडिकेटर्स शॉर्ट सेलिंग का संकेत दें, तो शॉर्ट सेलिंग करें।

मार्जिन अकाउंट


यह विशेष प्रकार का निवेश खाता है, जो निवेशकों को उधारी पर शेयर खरीदने की अनुमति देता है। इसके माध्यम से निवेशक अधिक शेयर खरीद सकते हैं, जिससे वे अधिक लाभ कमा सकते हैं।

नुकसान


अनलिमिटेड लॉस: यदि स्टॉक की कीमत बढ़ती है, तो निवेशक को नुकसान अनलिमिटेड हो सकता है।
मार्जिन कॉल: स्टॉक की कीमत बढऩे पर अतिरिक्त पैसा जमा करना पड़ता है।
शॉर्ट स्क्वीज: इसमें शॉर्ट स्क्वीज का खतरा होता।
बाजार में उतार-चढ़ाव: इससे बाजार में उतार-चढ़ाव का खतरा रहता है।
रिस्क मैनेजमेंट: रिस्क मैनेजमेंट शॉर्ट सेलिंग में बहुत जरूरी है।

फायदे


बाजार में गिरावट का फायदा: शेयर बाजार में स्टॉक की कीमत गिरने पर आप लाभ कमा सकते हैं।
लिक्विडिटी: शॉर्ट सेलिंग से बाजार में लिक्विडिटी बढ़ती है।
प्राइस डिस्कवरी: शॉर्ट सेलिंग से बाजार में प्राइस डिस्कवरी में मदद मिलती है।

शॉर्ट सेलिंग इन इंट्राडे


शॉर्ट सेलिंग एक ऐसी ट्रेडिंग रणनीति है जिसमें ट्रेडर बाजार में गिरावट का फायदा उठाने के लिए शेयर को उधार लेकर बेचता है। इसमें ट्रेडर शेयर या सिक्योरिटी को सुबह खरीदता है और दिन के अंत में बेचता है, या इसके विपरीत करता है। ट्रेडर को ओवरनाइट पॉजिशन नहीं रखना होता है। बाजार में गिरावट का फायदा उठा सकता है। जोखिम है। सोच समझकर ही कदम उठाएं।

इसकी प्रक्रिया


निवेशक पहले अपने ब्रोकर के माध्यम से उस कंपनी के शेयरों को उधार लेता है। फिर शेयरों को बाजार में बेच देता है। निवेशक शेयरों को मौजूदा बाजार मूल्य पर बेचता है। अब निवेशक यह उम्मीद करता है कि शेयर की कीमत गिर जाएगी। यदि कीमत गिरती है, तो निवेशक उन शेयरों को कम कीमत पर खरीद कर ब्रोकर को वापस लौटा देता है। इससे निवेशक को लाभ मिल जाता है।

-पलक गौड़ शुक्ला, इंट्राडे ट्रेडिंग एनालिस्ट