अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड्स
भारत की परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां तीन अलग-अलग प्रकार के अंतरराष्ट्रीय फंड्स प्रदान करती हैं। पहले प्रकार के फंड्स वे फंड्स हैं जिनका निवेश सीधे वैश्विक बाजारों में किया जाता है। उसके बाद कुछ फंड्स ऐसे हैं जिन्हें फीडर फंड्स कहा जाता है जिनका निवेश एक मौजूदा वैश्विक फंड में किया जाता है। तीसरे प्रकार के फंड्स ऐसे फंड्स हैं जिनका निवेश तरह-तरह के अंतरराष्ट्रीय फंड्स में किया जाता है। इस श्रेणी में मिलने वाले रिटर्न इतने अलग-अलग क्यों हो सकते हैं इसका एक और कारण है फंड का मकसद। उदाहरण के लिए, कुछ फंड ऐसे होते हैं जिनका निवेश एक विशेष क्षेत्र के आधार पर किया जाता है, उसके बाद कुछ फंड ऐसे भी होते हैं जिनका निवेश विषय-वस्तु जैसे कमोडिटी लिंक्ड फंड्स, गोल्ड बेस्ड फंड्स के आधार पर किया जाता है।
2016 में, कई फंड्स का रिकॉर्ड बहुत अच्छा था, कुछ गोल्ड और कमोडिटी-लिंक्ड फंड्स से 50त्न से 70त्न तक रिटर्न मिला था, जिनके कारण अंतरराष्ट्रीय फंड श्रेणी में तेजी आने से 16त्न रिटर्न मिला है। लेकिन, इन फंडों के बिना, और सिर्फ इक्विटी आधारित फंडों को ध्यान में रखने से, औसत रिटर्न में गिरावट आने के कारण यह 10त्न से भी नीचे चला गया। ध्यान देने योग्य एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि तीन साल की अवधि में उसी गोल्ड और कमोडिटी फंड से निगेटिव या बहुत कम यहां तक कि सिर्फ एक अंक में रिटर्न मिला था।
अंतरराष्ट्रीय फंड्स का टैक्सेशन अलग-अलग होता है। हाइब्रिड वैश्विक फंड जो घरेलु कंपनियों में अपनी कोष का कम से कम 65त्न निवेश करते हैं और बाकी विदेशी फंडों पर एक नियमित इक्विटी फंड की तरह टैक्स लगता है जबकि दीर्घकालिक लाभ पर एक साल बाद टैक्स नहीं लगता है। इसलिए निवेश से पहले कितना टैक्स देना होगा इसको पता करें।
कुल मिलाकर, भारत-क्रेंद्रित फंड़स के समूह में एक अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड को शामिल करना निवेश प्रेमी निवेशकों के लिए एक बहुत चालाकी भरा कदम साबित हो सकता है। किसी विशेष फंड का चयन करने से पहले पर्याप्त खोजबीन और अलग-अलग फंडों से संबंधित अपने विकल्पों पर सोच-विचार करना न भूलें।
फाइनेंस की दुनिया में, विविधता से आपको अलग-अलग परिसंपत्ति वर्गों, वित्तीय लेखपत्रों या उद्योगों में अपना पैसा लगाकर जोखिम को रोकने में मदद मिलती है। इसलिए इसको जानें।