पुलिस के आंकड़ों से पता चलता है कि मई दिवस की रैली में 84,000 लोग शामिल हुए, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 76,000 था।
प्रदर्शन में छोटी-मोटी झड़प हुई। फ्रांस के गृह मंत्री बर्नाड केजेन्यूव ने एक बयान जारी कर बताया कि 18 लोगों की गिरफ्तारी हुई है जबकि एक प्रदर्शनकारी और एक पुलिसकर्मी मामूली रूप से घायल हुए हैं।
पेरिस में हुए एक अन्य प्रदर्शन में करीब 300 प्रदर्शनकारियों के दल ने ‘हर कोई पुलिस से नफरत करता हैÓ के नारे लगाए और उनमें से कुछ ने पुलिस अधिकारियों पर पत्थर फेंके। इसके जबाव में पुलिस ने आंसू गैस और लोगों को अचेत करने वाले गोले छोड़े।
फ्रांस के प्रस्तावित श्रम सुधार बिल में कामकाज के घंटे बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है तथा कंपनियों के लिए कर्मचारियों को काम से निकालना आसान बना दिया गया है। आलोचकों का कहना है कि नए उपायों से कड़े संघर्ष के बाद मिले मजदूरों के अधिकार खत्म हो जाएंगे।
इटली में बड़ी संख्या में लोगों ने रविवार को मई दिवस के समारोहों में भाग लिया। देश के रोजगार बाजार के पुर्नगठन के बाद यह पहला मजदूर दिवस था। रोम के सेंट्रल पियज्जा सन जियोवानी में हुए पारंपरिक संगीत समारोह में एक लाख से अधिक लोग जुटे। यहां रविवार सुबह से देर रात तक स्थानीय और विदेशी संगीत का आयोजन किया गया।
यहां का माहौल काफी उल्लासपूर्ण था। लेकिन, कई लोगों ने बताया कि वे सरकार द्वारा मजदूरों के लिए उठाए गए हाल के कदमों से काफी निराश हैं।
पुर्तगाल के मजदूर संगठनों ने मई दिवस के अवसर पर समारोह का आयोजन किया। रविवार को लिस्बन के सिटी सेंटर में हजारों लोगों ने लाल रंग के बैनर लहराए और लाल गुलाब के फूलों के साथ मार्च किया। आयोजकों ने बताया कि उन्हें खुशी है कि सरकार ने न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी की है, लेकिन कामकाज की स्थितियों को सुधारने के लिए काफी कुछ किए जाने की जरूरत है।
मैक्सिको सिटी में हजारों मजदूरों ने राष्ट्रपति एनरिक पेना रियेटो द्वारा किए जा रहे सुधारों में बदलाव और कामकाजी स्थितियों को सुधारने की मांग की।
देश के सबसे बड़े मजदूर संगठन नेशनल कोआर्डिनेशन ऑफ एजुकेशन वर्कस, द नेशनल वर्कस यूनियन (यूएनटी) और मैक्सिकन सिंडिकेट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स (एसएमई) के मजदूर शहर के मुख्य चौक पर जमा हुए। अपने भाषण में यूएनटी नेता एनरिक फेबेला ने कहा कि सामाजिक-आर्थिक गिरावट को उलटने के लिए शहरी और ग्रामीण मजदूरों के लिए 1 मई अच्छा अवसर है।
पेरू में हजारों मजदूर न्यूनतम मजदूरी 450 डॉलर करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे।