क्या है पूरा मामला
दरअसल, दवा कंपनी रैनबैक्सी को बेचते वक्त प्रमोटर्स मलविंदर और शिविंदर मोहन सिंह ने जापान की कंपनी दाइची सांक्यों को इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं दी थी। इसके बाद रैनबैक्सी को दाइची ने सन फार्मा को बेच दिया। लेकिन दाइची द्वारा 3500 करोड़ के लेनदारी के मामले में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करने के बाद फोर्टिस की बिक्री पर रोक लगाई गई। सुप्रीम कोर्ट ने बिक्री पर रोक लगाते हुए कहा है कि अगले आदेश तक मलविंद और शिविंदर मोहन सिंह की संपत्ति पर भी यथास्थिति बरकरार रहेगी।
फोर्टिस हेल्थकेयर की बिक्री का हुआ था ऐलान
मलेशिया की कंपनी आईएचएच हेल्थकेयर ने फोर्टिस हेल्थकेयर को 4000 करोड़ रुपए में खरीदने का ऐलान किया था। आईएचएच को इस निवेश के बदले फोर्टिस हेल्थकेयर में 31 फीसदी हिस्सेदारी मिलेगी जिसके लिए उसे 170 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से शेयर आवंटित किए जाएंगे।
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