scriptपत्रिका से बोले मारुति के ईडी शशांक श्रीवास्तव- डिमांड बढ़ने पर ग्राहकों को मिलेगा डिस्काउंट का फायदा | Maruti Suzuki ED says Customers will get benefit of discount when demand increases | Patrika News

पत्रिका से बोले मारुति के ईडी शशांक श्रीवास्तव- डिमांड बढ़ने पर ग्राहकों को मिलेगा डिस्काउंट का फायदा

locationनई दिल्लीPublished: May 17, 2020 10:03:54 am

Submitted by:

Prashant Jha

मारुति सुजुकी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर मार्केटिंग एवं सेल्स शशांक श्राीवास्तव ने बताया कि आने वाले वक्त में डिमांड बढ़ने पर ग्राहकों को फायदा जरूर मिलेगा। हालांकि पोस्ट कोविड के बाद बहुत सारी चीज़ों में बदलाव दिखेगा।

ED Maruti Suzuki Shashank Srivastava

पत्रिका से बोले मारुति के ईडी शशांक श्रीवास्तव- डिमांड बढ़ने पर ग्राहकों को मिलेगा डिस्काउंट का फायदा

सवाल— एक तरफ कार की मांग की बात हो रही है, दूसरी तरफ कंपनियों ने अपनी कैंपेन रोक दी हैं, ये विरोधाभाष क्यों?

शशांक— देखिए कोविड ने हमें बहुत कुछ सोचने का मौका दिया है। कोविड के दौरान यूजर की आदतें भी तेजी के साथ बदली हैं। खेल और मनोरंजन से निकलकर न्यूज की खपत ज्यादा हो रही है, ग्राहक हर प्लेटफार्म पर न्यूज को पसंद कर रहा है। ऐसे में हम भी अपनी रणनीति में बदलाव कर रहे हैं, यह समय इसी के लिए था। पूरा बाजार एक साथ बड़ी कैंपेन के साथ आ रहा है, लेकिन अब इस कैंपेन का बड़ा हिस्सा न्यूज में जाएगा। अभी तक हम दूसरे विकल्पों पर ज्यादा खर्च करते थे। यह एक बड़ा बदलाव है जो दिखाई दे रहा है।

सवाल— सरकार के पैकेज का कितना फायदा ऑटो इंडस्ट्री को मिलेगा?
शशांक — सरकार ने अपने पैकेज में एमएसएमई के लिए कैश फ्लो का इंतजाम किया है। अभी एमएसएमई की सबसे बड़ी जरूरत कैश है। ऐसे में यह काफी फायदेमंद कोशिश है और इसके सहारे हम अपने बाजार को वापस खड़ा कर सकते हैं। हमारे डीलर, नेटवर्क और हमसे जुड़ी एमएसएमई सरकारी पैकेज का फायदा उठा सकेंगे। यह लोन दूसरे लोन से सस्ता होगा और हमें आगे कारोबार करने में मदद करेगा।

सवाल- मारुति के 2500 से ज्यादा सेल्स प्वाइंट हैं। छोटे बड़े शहरों में डीलर हैं। 10 साल पहले आपने जो निवेश किया है वह अब कैसे मददगार साबित होगा?

शशांक— ग्रामीण इलाकों में में डीलरशिप को अच्छी तरीके से जानना जरूरी होता है। ग्राहकों का विश्वास होना जरूरी होता है। मारुति का ग्रामीण इलाकों में फिजिकल टच प्वाइंट है और इसे बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। यह न केवल भरोसे को मजबूत करता है, बल्कि ग्राहक के साथ करीबी लाता है। हमारा काम केवल कार बेचना नहीं है, बल्कि ग्राहक को आने वाले वक्त में सर्विस देना भी है।

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सवाल- शोरूम के नेटवर्थ पर 5 से 7 फीसदी खर्च होता है, ऐसे में डिजिटल होने पर क्या ग्राहकों को फायदा होगा?
शशांक— देखिए इसका फायदा तो मिलेगा। लेकिन बहुत जल्दी नहीं मिल पाएगा। हम अभी पूरी तरह डिजिटल नहीं होने जा रहे हैं बल्कि फिजिटल पर हम फोकस करेंगे। कॉस्ट स्ट्रक्चर में बदलाव जरूर आएंगे। शो रूम में जो खर्च हो रहे थे उसमें कटौती होगी। उसका फायदा डीलर, कस्टमर को मिलेगा। एक बात पूरी तरह से साफ है कि पोस्ट कोविड कॉस्ट स्ट्रक्चर जरूर बदलेगा।

सवाल- कंपनियां ऑफर देकर ग्राहकों को लुभाने की तैयारी करेंगी, क्या प्लान है?
शशांक— यह तो सप्लाई और डिमांड पर निर्भर करता है। अगल अलग जगहों पर स्टॉक पर निर्भर करेगा। इसके साथ साथ मॉडल पर भी निर्भर करेगा। आने वाले समय में डिमांड बढेगी। जैसे-जैसे डिमांड बढ़ेगी उसके ऊपर डिस्काउंट का फैसला होगा। लेकिन अभी कुछ कहना जल्दीबाजी होगी।

सवाल- अगले लेवल पर जाने के लिए मारुति अपनी टीम को कैसे मोटिवेट करती है?

शशांक— देखिए यह काफी दिक्कत वाली चीज है। माइक्रो लेवल पर चुनौतियां हैं। इसको दूर करना बेहद मुश्किल भरा काम होता है। मारुति का मार्केट लेवल 51 फीसदी है। कुछ शहरों में कम रहता है तो उस पर मंथन किया जाता है। जो हमारे कम्पटीटर होते हैं उनसे कैसे आगे बढ़ें। यह सबकुछ की जानकारी दी जाती है। ग्राहकों की समझदारी को समझना बहुत मुश्किल भरा काम होता है। इसके लिए ग्राहकों की फीडबैक लेना उनकी पसंद जानना और ग्राहकों के नजदीक रहना बहुद जरूरी होता है। मारुति अगर सफल है तो इसमें इस चीज का योगदान अहम है। प्रोडक्शन, मॉडल समेत क्या ट्रेंड चल रहा है इसका ध्यान रखा जाता है।

सवाल- कंज्यूमर विहेवियर को मारुति कैसे समझता है?
शशांक— कंज्यूमर की सोच को अलग-अलग पैमाने पर मापा जाता है कि क्या उन्हें चाहिए, किस तरह के सेगमेंट चाहिए। डेमोग्राफी, भौगोलिक, मनोवैज्ञानिक पर एक प्लान तैयार किया जाता है। उसके बाद हम कारे तैयार करते हैं। इसके अलावा कोविड के बाद वक्त काफी मुश्किल भरा है। स्टडी इस पर चल रही है। जो जरूरतें समझ आई हैं उनमें कार के अंदर एक प्लास्टिक सेप्रेशन हो, सैनेटाइजेशन को लेकर भी बात चल रही है। साथ ही या ऐसा कोई मटेरियल हो जो गाड़ी को सेनेटाइज करे। हालांकि बुनियादी बदलाव पर अभी रिसर्च चल रही है। प्रोडक्ट्स में कोई खास बदलाव नहीं दिखेगा। कार शेयरिंग और कार राइडिंग में बदलाव दिखेगा।

सवाल- ऑटो इंडस्ट्री की सेल कम हुई है, कैसे बढ़ाएंगे?
शशांक— हमारा 80 फीसदी बाजार फाइनेंस पर चलता है। हम लगातार बैंकों से बात कर रहे हैं कि वह लोन के तरीकों में कुछ बदलाव करें। डाउन पैमेंट को कैसे कम कर सकती हैं। ईएमआई को कैसे कम और ज्यादा के हिसाब से ग्राहक की जरूरत के हिसाब से बदल सकती हैं। सबसे बड़ा मुद्दा ब्याज दर है, उस पर क्या राहत दे सकती हैं। लिक्विडिटी से ज्यादा कैश फ्लो की समस्या है। बैंकों के पास लिक्विडी की कमी नहीं है। ऐसे में कंज्यूमर फाइनेंस और बैंकों के बीच तालमेल बैठाने की जरूरत होगी। जो राहत रिजर्व बैंक ने दी है उसका फायदा अगर ग्राहक को मिलेगा तो बाजार में मांग आना शुरू हो जाएगी।

सवाल- इंडिया में प्री ओन कार का सेल्स कम है, यूएस में देखे तो सेकेंड हैंड कार का ज्यादा चलन है। पोस्ट कोविड क्या बदलाव दिखेगा?

शशांक— जो यूज्ड कार का मार्केट हैं वह भारत में भी ज्यादा है। लेकिन भारत में संगठित मार्केट नहीं है। पिछले साल 33 लाख गाड़ियां बेची गई हैं। ट्र वैल्यू प्लेटफॉर्म पर 18 फीसदी है। बाकी 40 से 50 फीसदी ग्राहक से सीधे ग्राहक है। मारुति भी यूज्ड कार को चार से सवा चार लाख गाड़ियां बेचती हैं।

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