जीएसटी को लागू हुए एक सप्ताह हो चुका है। लेकिन कई सेक्टर के लिए ये मुसीबत का सबब बन गई है।
नई दिल्ली. जीएसटी को लागू हुए एक सप्ताह हो चुका है। लेकिन कई सेक्टर के लिए ये मुसीबत का सबब बन गई है। खासकर कंन्ज्युमर कंपनियों के लिए स्टीकर वाले एमआरपी नियम में खासी मुश्किल खड़ी कर दी है। सरकार के घोषित दिशानिर्देश के मुताबिक कंपनियों को नए एमआरपी वाले स्टीकर छापने होंगे और दो बार अखबारों में विज्ञापन भी छापना होगा। लेकिन लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट 2009 के मुताबिक एक बार फैक्ट्री से समान निकल जाने के बाद उसका एमआरपी नहीं बदला जा सकता। ऐसे में कारोबारी अगर स्टीकर लगाकर रेट बदलते है तो ये कानून का उल्लंघन है। इस कानून के चलते न सिर्फ छोटे कारोबारी बल्कि बड़ी कंपनियों के लिए भी मुसीबत बन गई है। इंडस्ट्री बॉडी फिक्की ने भी इसे माना और इसपर कारोबारियों के साथ मिलकर सरकार से के पास जाने की तैयारी में है। कारोबारियों के मुताबकि वो सरकार के दिशानिर्देश का पालन करते हैं तो लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट 2009 का उल्लंघन होता है। ऐसे में कारोबारी सरकार को याचिका दायर की योजना बना रहे है।
क्या है दिक्कत
स्टीकर वाली एमआरपी दिशा निर्देश और लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट 2009 बिल्कुल अलग है। कंन्ज्युमर मामलों के जानकार लोकेश गंभीर के मुताबिक मैन्युफैक्चरर्स के लिए ये बड़ी चुनौती ह,ै जो स्टीकर लगा माल पहले से खुदरा स्टोर्स पर मौजूद है उसे कैसे बदला जा सकता है। वही डाबर इंडिया का कहना है कि हम सरकार के दिए गए निर्देश का कानूनी तरीके से पालन कर रहे हैं।
क्या कहती है इंडस्ट्री बॉडी
स्टीकर वाले एमआरपी को लेकर इंडस्ट्री बॉडी भी काफी पशोपेश में है। सीआईआई और फिक्की सरकार के पास जाने से पहले सरकार के निर्देशों की जांच कर रहे हैं कि इसे कैसे लागू करें।
मैन्युफैक्चरर्स के लिए सख्त प्रावधान
जीएसटी में सरकार ने एमआरपी को लेकर मैन्युफैक्चरर्स के लिए कई सख्त प्रावधान किए हैं। जैसे बिना बिके सामान की रिवाइज्ड एमआरपी दुबारा प्रिंट नहीं करने पर जेल तक की सजा है