क्या है आईयूसी का खेल
जियो के फ्री कॉल प्लान की वजह से जियो पर लगातार आईयूसी का भार बढ़ रहा है। जियो का कहना है कि आईयूसी की दरों में कमी होनी चाहिए। जियो का कहना है कि आईयूसी वर्तमान ऑपरेटरों द्वारा बनाई गई कृत्रिम बाधा है। वहीं दूसरी कंपनियां जैसे एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया आईयूसी के जरिए हजारों करोड़ रुपये कमाती हैं। इन कंपनियों का कहना है कि आईयूसी में बढ़ोतरी होनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर समझे तो, देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी एयरटेल की पिछले साल की आईयूसी डीलिंग करीब 10279 करोड़ रुपये थी। कंपनी इस कीमत को 30 पैसे प्रति मिनट के ‘वास्तविक मूल्य’ तक ले जाना चाहती है।
आईयूसी की शुरुआत 2003 में हुई थी। उस समय इनकमिंग कॉल फ्री होने के बाद ट्राई ने कॉल करने वाले से भुगतान करने का नियम बनाया था। शुरुआत में यह 15 पैसे प्रति मिनट से 50 पैसे प्रति मिनट तक थी। लेकिन यह दर दूरी पर निर्भर होती थी। इसके अलावा 20 पैसे से लेकर 1.10 प्रति मिनट तक कैरिज चार्ज भी था। ट्राई ने फरवरी 2004 में इस दर को घटाकर 20 पैसे प्रति मिनट किया था। आखिरी में अंत में 1 मार्च 2015 को इस दर को 14 पैसे प्रति मिनट कर दिया गया था।
हाल में भारती इंटरप्राइसेज के चेयरमैन सुनील मित्तल ने ट्राई के अध्यक्ष आर. एस. शर्मा को लिखित में कहा कि आईयूसी की मौजूदा दर पहले ही लागत से कम है। साथ ही उन्होंने कहा कि वह इसकी दर को निष्पक्ष और पारदर्शी तंत्र द्वारा तय करें। लेकिन जियो बिल ऐंड कीप’ (BAK) तरीका अपनाना चाहती हैं। बीएके में कंपनियां एक-दूसरे के बजाय ग्राहकों से वसूली कर सकती है।
जियो के फ्री कॉल प्लान की वजह से जियो पर लगातार आईयूसी का भार बढ़ रहा है। जियो का कहना है कि आईयूसी की दरों में कमी होनी चाहिए। जियो का कहना है कि आईयूसी वर्तमान ऑपरेटरों द्वारा बनाई गई कृत्रिम बाधा है। वहीं दूसरी कंपनियां जैसे एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया आईयूसी के जरिए हजारों करोड़ रुपये कमाती हैं। इन कंपनियों का कहना है कि आईयूसी में बढ़ोतरी होनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर समझे तो, देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी एयरटेल की पिछले साल की आईयूसी डीलिंग करीब 10279 करोड़ रुपये थी। कंपनी इस कीमत को 30 पैसे प्रति मिनट के ‘वास्तविक मूल्य’ तक ले जाना चाहती है।
आईयूसी की शुरुआत 2003 में हुई थी। उस समय इनकमिंग कॉल फ्री होने के बाद ट्राई ने कॉल करने वाले से भुगतान करने का नियम बनाया था। शुरुआत में यह 15 पैसे प्रति मिनट से 50 पैसे प्रति मिनट तक थी। लेकिन यह दर दूरी पर निर्भर होती थी। इसके अलावा 20 पैसे से लेकर 1.10 प्रति मिनट तक कैरिज चार्ज भी था। ट्राई ने फरवरी 2004 में इस दर को घटाकर 20 पैसे प्रति मिनट किया था। आखिरी में अंत में 1 मार्च 2015 को इस दर को 14 पैसे प्रति मिनट कर दिया गया था।
हाल में भारती इंटरप्राइसेज के चेयरमैन सुनील मित्तल ने ट्राई के अध्यक्ष आर. एस. शर्मा को लिखित में कहा कि आईयूसी की मौजूदा दर पहले ही लागत से कम है। साथ ही उन्होंने कहा कि वह इसकी दर को निष्पक्ष और पारदर्शी तंत्र द्वारा तय करें। लेकिन जियो बिल ऐंड कीप’ (BAK) तरीका अपनाना चाहती हैं। बीएके में कंपनियां एक-दूसरे के बजाय ग्राहकों से वसूली कर सकती है।
वोल्ट (VoLTE) सुविधा देने पर ध्यान
जियो अभी अपनी वाइस कॉल के लिए 4जी आधारित (VoLTE) तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। जियो का मानना है कि आईयूसी की कोई जरूरत नहीं है। जमाना इंटरनेट का है। इसलिए हमें भी वक्त के साथ बदलने की जरूरत है। वहीं एयरटेल का कहना है कि इस वित्तीय वर्ष के अंत में वह भी पूरे देश में VoLTE की सुविधा दे देगा। आइडिया भी इसी ओर तैयारी में जुटा हुआ है। इंटरनेट के जरिए कॉल करने पर महज 3 पैसे प्रति मिनट का ही खर्च आता है। सूत्र ने कहा, ‘रेट जरूर कम होंगे। आज के दौर में जब डेटा रेट काफी कम हुए हैं और नेटवर्क VoLTE अथवा 4G की ओर बढ़ रहे हैं ऐसे में 14 पैसे प्रति मिनट काफी ज्यादा रेट है।’
जियो अभी अपनी वाइस कॉल के लिए 4जी आधारित (VoLTE) तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। जियो का मानना है कि आईयूसी की कोई जरूरत नहीं है। जमाना इंटरनेट का है। इसलिए हमें भी वक्त के साथ बदलने की जरूरत है। वहीं एयरटेल का कहना है कि इस वित्तीय वर्ष के अंत में वह भी पूरे देश में VoLTE की सुविधा दे देगा। आइडिया भी इसी ओर तैयारी में जुटा हुआ है। इंटरनेट के जरिए कॉल करने पर महज 3 पैसे प्रति मिनट का ही खर्च आता है। सूत्र ने कहा, ‘रेट जरूर कम होंगे। आज के दौर में जब डेटा रेट काफी कम हुए हैं और नेटवर्क VoLTE अथवा 4G की ओर बढ़ रहे हैं ऐसे में 14 पैसे प्रति मिनट काफी ज्यादा रेट है।’