सीतरमण ने कहा कि सरकार कम इस्तेमाल वाली सम्पत्तियां ही बेचेगी। इनका मालिकाना हक सरकार के पास ही रहेगा। प्राइवेट सेक्टर के पार्टनर्स को तय समय के बाद इन्हें अनिवार्य रूप से वापस करना होगा। उन्होंने कहा कि यह योजना ब्राउनफील्ड संपत्तियों के बारे में है, जहां निवेश पहले से किया जा रहा है। ये ऐसी संपत्तियां हैं, जो या तो सुस्त पड़ी हैं या पूरी तरह से मॉनेटाइज नहीं की गई या कम इस्तेमाल की गईं। उन्होंने कहा कि प्राइवेट हिस्सेदारी लाकर हम इन्हें बेहतर तरीके से मॉनेटाइज करने जा रहे हैं। मॉनेटाइजेशन से मिले धन को आधारभूत ढांचा खड़ा करने में निवेश किया जाएगा।
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उन्होंने कहा कि ये बेहद जरूरी है कि भारत यह समझे कि हमारी संपत्तियों का अधिकतम लाभ उठाने का समय आ गया है। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने बताया कि सड़क, परिवहन और राजमार्ग, रेलवे, बिजली, प्राकृतिक गैस, नागरिक उड्डयन, शिपिंग बंदरगाह और जलमार्ग, दूरसंचार, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, खनन, कोयला और आवास, शहरी मामलों के मंत्रालयों की सम्पत्तियां नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन में शामिल हैं। धन जुटाने के लिए होगा विनिवेश
सरकारी कंपनियों (PSU) में सरकार की हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया विनिवेश कहलाती है। सरकार के लिए विनिवेश धन जुटाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। विनिवेश की प्रक्रिया में सरकार अपने शेयर बेचकर संबंधित कंपनी में अपना मालिकाना हक घटा देती है। इससे सरकार को दूसरी योजनाओं पर खर्च करने के लिए धन मिलता है।
सरकारी कंपनियों (PSU) में सरकार की हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया विनिवेश कहलाती है। सरकार के लिए विनिवेश धन जुटाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। विनिवेश की प्रक्रिया में सरकार अपने शेयर बेचकर संबंधित कंपनी में अपना मालिकाना हक घटा देती है। इससे सरकार को दूसरी योजनाओं पर खर्च करने के लिए धन मिलता है।
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क्या-क्या बिकेगानीति आयोग के सीइओ ने बताया कि 2025 तक नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान का 14 फीसदी हिस्सा रोड़, रेलवे और ऊर्जा से आएगा। रेलवे स्टेशन, 15 रेलवे स्टेडियम, ट्रेन, माउंटेन रेलवे आदि बेचे जाएंगे। नौ बड़े बंदरगाह और दो नेशनल स्टेडियम भी इस लिस्ट में हैं।